प्रबंध समिति से नियुक्त अध्यापक को सरकार से वेतन पाने का अधिकार नहीं
तदर्थ अध्यापिका को नियमित कर वेतन भुगतान करने का एकलपीठ का आदेश रद, राज्य सरकार की विशेष अपील मंजूर

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रबंध समिति से नियुक्त अध्यापक को वेतन भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश नहीं दिया जा सकता. इंटरमीडिएट शिक्षा कानून की धारा 16 (2) के अनुसार अधिनियम के प्रावधानों के उल्लघंन में की गयी कोई भी नियुक्ति शून्य होगी. तदर्थवाद को समाप्त करने के लिए 25 जनवरी 1999 के बाद अध्यापकों की नियुक्ति का अधिकार माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड को दे दिया गया है और प्रबंध समिति का अल्पकालिक रिक्त पद पर नियुक्ति का अधिकार समाप्त कर दिया गया है. साथ ही तदर्थ नियुक्ति के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
सिंगल बेंच का आदेश खारिज
कोर्ट ने प्रबंध समिति से नियुक्त अध्यापक विपक्षी याची राज कुमारी को नियमित कर वेतन भुगतान करने के एकलपीठ के 16 मई 24 को पारित आदेश को विधि विरुद्ध करार देते हुए रद कर दिया है. किंतु कहा है कि याची अध्यापिका चाहे तो प्रबंध समिति से वेतन की मांग कर सकती है. राज्य सरकार उसके वेतन का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस पीके गिरी की बेंच ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.
बिशारा इंटर कालेज अलीगढ़ का मामला
याचिका के माध्यम से पेश किये गये तथ्यों के अनुसार बिशारा इंटर कालेज अलीगढ़ में पद की रिक्ति हुई. बोर्ड से चयनित अध्यापक नहीं आया तो प्रबंध समिति ने 9 मई 2005 को याची की सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति कर ली. उसकी सेवा नियमित करने की मांग 5 फरवरी 24 को अस्वीकार कर दी गई तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की. एकलपीठ ने 16 मई 24 के आदेश से नियमित कर वेतन भुगतान का आदेश दिया. अपील में इस आदेश को चुनौती दी गई थी.
एकल पीठ का आदेश विधि के खिलाफ
राज्य सरकार का कहना था कि रिक्त पद पर प्रबंध समिति को याची विपक्षी की नियुक्ति का कानूनी अधिकार नहीं था. रिक्तियां केवल बोर्ड से की जानी थी. सरकार ने तदर्थवाद को खत्म करने के लिए कानूनी प्रावधानों के विपरीत नियुक्ति को शून्य करार दिया है. जो 25 जनवरी 99 से लागू है. इसलिए एकलपीठ का आदेश विधि के खिलाफ है.