Parties के Advocates से सीधे संपर्क नहीं करेगी Police
अदालतों में विचाराधीन विवादित स्थलों पर कोर्ट की अनुमति के बिना Police नहीं जा सकेगी और न ही वह ऐसे विवादित मामले के पक्षकारों के Advocates से ही सीधे संपर्क कर सकेगी. राज्य सरकार जल्दी ही गाइड लाइन जारी करने जा रही है. प्रदेश के अपर महाधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया की वह पुलिसकर्मियों को न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे के अधीन स्थानों पर जाने और न्यायालय में विचाराधीन मामलों में पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले Advocates से सीधे संपर्क करने से रोकने के लिए राज्यव्यापी दिशानिर्देश बनाएगी. जौनपुर के एक गाँव में गाँव सभा की जमीन पर अतिक्रमण का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी गई.
याचिकाकर्ता ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों पर याचिका वापस लेने के लिए उन्हें धमकाने का आरोप लगाया था. बाद में उनके Advocates ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा था. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस जेजे मुनीर ने 11 जुलाई को आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि Advocates को उनके पेशेवर कर्तव्यों के पालन के लिए जाँच करने का चलन स्वीकार्य नहीं है. इसके बाद जौनपुर के पुलिस अधीक्षक के व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि जाँच लंबित रहने तक दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया.

पीठ को बताया गया कि संबंधित अन्य पुलिसकर्मियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पीठ को यह भी बताया गया कि पुलिस अधीक्षक ने 12 जुलाई, 2025 को एक जिला-व्यापी आदेश भी जारी किया, जिसमें जौनपुर के सभी पुलिस थानों को निर्देश दिया गया था कि वे न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित स्थानों का दौरा न करें. न्यायालय में विचाराधीन मामलों में आवेदक के Advocates से सीधे संपर्क न करें.
सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि सरकार जल्दी ही इस संबंध एक गाइड लाइन जारी करेगी. उन्होंने दस का समय कोर्ट से मांगा है. यह अनुरोध स्वीकार करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार और जौनपुर के पुलिस अधीक्षक को आगे हलफनामा दाखिल करने के लिए दस दिन का समय दिया. मामले को अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई, 2025 को होगी.