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वैवाहिक विवाद के मुकदमे की अग्रिम कार्यवाही पर रोक, 30 हजार जमा करे पति

पेमेंट न करने पर समाप्त हो जायेगी अंतरिम राहत

वैवाहिक विवाद के मुकदमे की अग्रिम कार्यवाही पर रोक, 30 हजार जमा करे पति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पालतू कुत्ते, सम्पति, दाम्पत्य संबंधों का पूर्ण निर्वाह को लेकर हुए विवाद में पत्नी की ओर से पति और ससुरालीजनों पर शादी के 12 साल के बाद दहेज मांगने व उत्पीड़न के मामले में पति को राहत देते हुए एसीजेएम मेरठ की अदालत में लंबित मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मामले को मीडियेशन सेंटर भेजते हुए पति को 30 हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया है. यह राशि जमा नहीं किए जाने पर अंतरिम आदेश स्वतः समाप्त हो जाएगा.

यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर ने अंकुर मल्होत्रा की याचिका पर उसके अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है. अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि पंजाब निवासी अंकुश मल्होत्रा वर्तमान में पुणे में इंजीनियर के पद में कार्यरत है याची की पत्नी भी इंजीनियर के पद पर पिछले 12 साल से याची के साथ रहकर अच्छे से जीवन बसर कर रही थी.

पति और पत्नी ने मिलकर पुणे में कई फ्लैट भी खरीदे. बाद में पत्नी ने पति पर इंपोटेंसी का आरोप लगाते हुए घरेलू हिंसा व आपराधिक मुकदमा मेरठ के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल कर याची व उनके माता-पिता को सम्मन करा दिया जबकि याची के पिता माता पिछले 12 साल से पंजाब में ही रहते हैं.

याची की पत्नी शादी के एक महीने के बाद ही पति के साथ रहने पुणे चली गई. याची की पत्नी ने आरोप लगाया है कि याची ने उसके पालतू कुत्ते व उसे मारा. बाद में 25 लाख रुपये पंजाब में जमीन बेचकर न देने पर पुणे में पति व अपने पालतू कुत्ते को छोड़कर अपने मायके मेरठ चली गई और वहां रहकर मुकदमा दर्ज कर दिया.

पत्नी का आरोप है कि पति रात में घर पर देरी से पहुंचता था और पत्नी को अवॉइड करता था इससे वह डिप्रेशन में चली गई. पत्नी ने एक अन्य मुकदमा भी 504 506 406 का किया था जो अदालत ने खारिज कर दिया. पत्नी ने तलाक का मुकदमा भी किया है.

अधिवक्ता की दलील को सुनने के कोर्ट ने मामले को सुलह समझौता केंद्र भेज दिया और याची को 30 हजार रुपये मीडियेशन सेंटर में जमा करने का निर्देश दिया है.

मां ही बेटी की सबसे बड़ी हितैषी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बेटी की कस्टडी मां को सौंपते हुए कहा कि मां जैसा हितैषी कोई नहीं होता. जस्टिस विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि किशोरावस्था की दहलीज पर खड़ी बेटी के लिए मां का साथ जरूरी है.

दिल्ली की कॉलेज प्रवक्ता ने अर्जी में कहा कि पति ने बेटी को 2021 में गोरखपुर ले जाकर छलपूर्वक अलग कर दिया और उसे मिलने तक नहीं दिया. उसने व्हाट्सअप चैट और गूगल मैप की लोकेशन को ममता के सुबूत के तौर पर पेश किया. पिता ने आरोप लगाया कि पत्नी ने खुद साथ छोड़ा.

निचली अदालत ने बेटी के बयान पर याचिका खारिज कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने पलट दिया. कोर्ट ने पुलिस आयुक्त लखनऊ को आदेश दिए कि पति अपनी पदीय स्थिति का दुरुपयोग न कर सके.

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