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पुलिसकर्मी को निर्देश, हर माह 15 हजार रुपये गुजारा भत्ते का करे भुगतान

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिसकर्मी को हर माह 15 हजार रुपये गुजारा भत्ते का करे भुगतान करने का आदेश देते हुए कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत लंबित भरण-पोषण के लिए आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्य से यह तथ्य अप्रासंगिक है कि पति या पत्नी की पहली शादी के अस्तित्व में रहने के कारण दूसरी शादी शून्य थी. पति ने विवाह शून्य घोषित करने की परिवार अदालत में अर्जी दी है. उसी में पत्नी अपीलार्थी की धारा 24 की भरण-पोषण की अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी थी कि उसने पहली शादी छिपाई थी.

कोर्ट ने पुलिस विभाग में कार्यरत पुलिसकर्मी पति को बतौर गुजारा भत्ता अपनी पत्नी अपीलार्थी को प्रतिमाह भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा कि 14 जून तक बकाये का भी भुगतान किया जाय. जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस   अवनीश सक्सेना की बेंच ने कहा, “कोर्ट के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या वैवाहिक विवाद में गुजारा भत्ता की मांग करने वाले पक्ष को इसकी आवश्यकता है.

मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार पति (प्रतिवादी)  ने विवाह को शून्य घोषित करने के लिए वाद दायर किया है. कहा कि  अपीलकर्ता-पत्नी का विवाह के समय जीवन साथी जीवित था. अपीलकर्ता (पत्नी) की तरफ से भरण पोषण का आवेदन पारिवारिक न्यायालय कानपुर ने इसलिए खारिज कर दिया था कि उसने पिछली शादी की बात छिपाई थी.

अपीलकर्ता ने इस आधार पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को  लंबे समय से जानते थे और अब पति पुलिसकर्मी यह दावा नहीं कर सकता कि उसे पत्नी के बारे में पहले से पता नहीं था. कहा पति पुलिसकर्मी है और वेतन करीब 65 हजार रुपये मासिक है. साथ ही सीमेंट की दुकान भी है. 

बेंच ने कहा, अपील के निर्णय के लिए यह देखना आवश्यक नहीं है कि दूसरी शादी के समय पत्नी की पहली शादी चल रही थी या नहीं? केवल यह देखना आवश्यक है कि ऐसी राशि मांगने वाले पक्ष को इसकी आवश्यकता थी अथवा नहीं. अधिनियम की धारा 24 में प्रावधान है कि यदि पत्नी या पति पुलिसकर्मी के पास अपने लिए पर्याप्त स्वतंत्र आय नहीं है तो आवेदन करने पर उसे उस दूसरे पक्ष से व्यय दिलाया जा सकता है जो कमा रहा हो.

कोर्ट ने यह भी पाया कि प्रतिवादी ने पत्नी के रोजगार के बारे में केवल दावा किया था, लेकिन रिकॉर्ड पर कोई सबूत पेश करने में विफल रहा. लंबे रिश्ते के बाद दोनों की शादी 10 फरवरी 2021 को झांसी में हुई थी. इसके बाद अपीलार्थी कानपुर में रहने लगी. 15 अप्रैल 24 को पहले पति का रिश्ता भी समाप्त हो चुका है. कोर्ट ने लंबित वाद यथाशीघ्र बिना स्थगन के तय करने का भी निर्देश दिया है.

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