हेट स्पीच पर अब्बास अंसारी को 2 साल सजा में राहत नहीं
हाईकोर्ट ने अर्थहीन बताते हुए याचिका की खारिज

हेट स्पीच मामले में मऊ सदर के निवर्तमान विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ जारी सम्मन आदेश की वैधता की चुनौती याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्थहीन करार देते हुए खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा ट्रायल कोर्ट ने मामले में फैसला दे दिया है। याची अपील में मुद्दे उठा सकता है. यह आदेश जस्टिस समित गोपाल ने दिया है.
कोर्ट ने कहा कि अब्बास अंसारी ने पहले ही हेट स्पीच मामले में सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील कर रखी है इसलिए उन्हें इस मुद्दे को वहीं अपील के माध्यम से उठाना चाहिए. कोर्ट ने अब्बास को हेट स्पीच की सीडी की वैधता के मामले को भी सेशन कोर्ट में दाखिल अपील में उठाने का निर्देश दिया है.
अब्बास अंसारी ने आरोप लगाया था कि हेट स्पीच की सीडी को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है. उन्होंने हेट स्पीच मामले में मऊ की स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए में पुलिस की ओर से पेश की गई हेट स्पीच से जुड़ी ऑडियो की फॉरेंसिक रिपोर्ट और सीडी को याचिका में चुनौती दी थी.
यह मामला 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकारियों को धमकी देने से जुड़ा है. चार मार्च 2022 को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रत्याशी अब्बास अंसारी, उनके भाई उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ हेट स्पीच के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था. यह एफआईआर दरोगा गंगाराम बिंद की तहरीर पर मऊ कोतवाली में दर्ज हुई थी.

आरोप है कि तीन मार्च 2022 को चुनावी जनसभा में अब्बास अंसारी ने प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी दी थी। इस संबंध में एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें अब्बास अंसारी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषण में अधिकारियों का “हिसाब-किताब” करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनती है, तो पहले अधिकारियों से हिसाब लिया जाएगा, उसके बाद उनका तबादला होगा.
चुनाव आयोग ने उनके इस बयान का संज्ञान लिया था, जिसके बाद अब्बास अंसारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में गत 31 मई को सीजेएम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को दो साल कैद और तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है. कोर्ट के फैसले के बाद मउ सदर सीट से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गयी है और इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया है. इससे अब्बास अंसारी की चिंता बढ़ गयी है.
सपा सांसद रुचि वीरा और उमाकांत गुप्ता को अंतरिम राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के मुरादाबाद के सांसद रुचि वीरा और याचिकाकर्ता उमाकांत गुप्ता को अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने मुरादाबाद के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट से जारी समन आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही, कोर्ट ने अगले आदेश तक किसी भी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर भी रोक लगाई है। जस्टिस समित गोपाल ने यह आदेश दिय।
कोर्ट ने राज्य सरकार व शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। एसीजेएम कोर्ट ने सपा सांसद रुचि वीरा और उमाकांत गुप्ता को समन जारी किया था। उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान 6 अप्रैल को मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर एफएसटी प्रभारी उमेश कुमार त्रिवेदी ने दर्ज कराई थी।
आरोप था कि लोकसभा चुनाव के दौरान सपा प्रत्याशी रुचि वीरा ने बिना अनुमति सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के डिप्टीगंज स्थित उमाकांत गुप्ता के घर पर कार्यकर्ताओं के साथ जनसभा की थी। इस जनसभा का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यह एफआईआर आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में आईपीसी की धारा 171 H और 188 के तहत दर्ज की गई थी। दोनों याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता इरशाद अहमद ने पक्ष रखा।