‘एक Candidate की वैध शिकायत भी काफी है’
NEET-PG परीक्षा एक शिफ्ट में कराने का निर्देश

“संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। यहां तक कि अगर एक निवारण योग्य, वैध शिकायत वाला सिर्फ एक उम्मीदवार (Candidate) है, तो वह पर्याप्त है। हमें उनमें से सैकड़ों या हजारों की जरूरत नहीं है। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस साल 15 जून को होने वाली NEET-PG 2025 परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को एक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था करने और पूरी पारदर्शिता बनाए रखने का निर्देश दिया। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा, “किसी भी दो प्रश्नपत्रों को कभी भी एक समान कठिनाई या सरलता वाला नहीं कहा जा सकता।” बेंच ने कहा कि दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने से ‘मनमानी’ होती है। सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2025 परीक्षा को दो शिफ्टों में आयोजित करने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
ढाई लाख आवेदक भी चंद candidate कोर्ट पहुंचे
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG परीक्षा को दो शिफ्टों में आयोजित करने के राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए सहमति जताई थी। दो शिफ्ट में NEET-PG परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि शिफ्ट के बीच कठिनाई के अलग-अलग स्तरों के कारण इसमें अनुचितता की संभावना है। यह याचिका अदिति और अन्य Candidate द्वारा दायर की गई थी। दो शिफ्ट में नीट पीजी आयोजित करने के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई वैध शिकायत उठाई जाती है, तो यह प्रासंगिक नहीं है कि केवल कुछ लोग (Candidate) ही राहत मांग रहे हैं। जस्टिस संजय कुमार ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर आचार्य को जवाब देते हुए यह बयान दिया, जिन्होंने तर्क दिया कि दो लाख से अधिक उम्मीदवारों में से केवल कुछ ने ही दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने एक ही शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने की याचिका का विरोध किया। तर्क दिया कि 30 मई, 2025 को आयोजित होने जा रही परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले 2.5 लाख उम्मीदवारों में से केवल कुछ उम्मीदवार ही इस अदालत के सामने हैं। अन्य छात्रों को दो शिफ्टों से कोई समस्या नहीं है। वे यहां नहीं आए हैं। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
“संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। यहां तक कि अगर एक निवारण योग्य, वैध शिकायत वाला सिर्फ एक उम्मीदवार है, तो वह पर्याप्त है। हमें उनमें से सैकड़ों या हजारों की जरूरत नहीं है। संख्या वास्तव में प्रासंगिक नहीं है।”
जस्टिस संजय कुमार

समय रहते व्यवस्था नहीं कर सकते तो समय विस्तार मांगें
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि दो-पाली प्रारूप प्रश्न पत्रों के कठिनाई स्तर में भिन्नता के कारण निष्पक्षता से समझौता करता है। कोर्ट ने एनबीई को पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए नीट-पीजी 2025 को एक ही पाली में आयोजित करने का निर्देश दिया और कहा कि परीक्षा 15 जून को निर्धारित है और आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अभी भी समय है। एनबीई की इस दलील पर ध्यान देते हुए कि परीक्षा की निर्धारित तिथि के लिए समय पर व्यवस्था करना संभव नहीं होगा, न्यायालय ने उसे 15 जून तक व्यवस्था करने में असमर्थ होने पर समय विस्तार मांगने की अनुमति दी।