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जस्टिस मंजू रानी चौहान का Registrar को पत्र

निजी सचिव बताकर पुलिस पर दबाव बनाने वाले पीएस से मांगे सफाई, दो दिन में दे रिपोर्ट

जस्टिस मंजू रानी चौहान का Registrar को पत्र

इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने महानिबंधक (Registrar) से दो दिन में रिपोर्ट मांगी है. महानिबंधक (Registrar) को पत्र लिखकर जस्टिस चौहान ने कहा है कि पीएस अभिषेक सिंह ने पुलिस पर अपने पक्ष में दबाव बनाने के लिए उनके नाम का गलत इस्तेमाल क्यों किया. उनसे स्पष्टीकरण लेकर दो दिन में रिपोर्ट पेश करे। कहा गया है कि अभिषेक सिंह ने खुद को उनका निजी सचिव बताते हुए पुलिस प्रशासन से कुछ  लाभ लेने का प्रयास किया. इस आशय के दो ऑडियो रिकॉर्डिंग भी न्यायाधीश को प्राप्त हुई हैं.

अफसर से अनुचित गतिविधि अपेक्षित नहीं
जस्टिस ने Registrar को भेजे गये अपने पत्र में स्पष्ट किया कि इस प्रकार की अनुचित गतिविधि किसी भी अधिकारी से अपेक्षित नहीं है. उन्होंने निर्देश दिया कि अभिषेक सिंह से यह पूछा जाए कि उन्होंने बिना अनुमति पुलिस अधिकारियों से बात करते हुए उनका नाम कैसे लिया और इसका विवरण दो दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाए. प्रतिलिपि Registrar (प्रोटोकॉल) व पीपीएस (प्रशासन), हाईकोर्ट इलाहाबाद को भी भेजी गई है.

DM फतेहपुर बतायें दो आदेश के बावजूद अतिक्रमण क्यों नहीं हटा

DM फतेहपुर बतायें दो आदेश के बावजूद अतिक्रमण क्यों नहीं हटा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी फतेहपुर से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि कोर्ट के दो बार आदेश के बावजूद गांव सभा व सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण क्यो‌ नही हटाया गया। यदि नहीं हटाया तो धारा 67 की कार्यवाही का तार्किक निष्कर्ष देते हुए तय करें कि अतिक्रमण किया गया है या नहीं। कोर्ट ने खलिहान, तालाब, बंजर व ऊसर जमीन पर अतिक्रमण के आरोपी विपक्षी को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 30 मई को होगी। यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने फतेहपुर के ब्लाक भिटौरा, जिला फतेहपुर के निवासी फूलचंद्र मौर्या की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बहस की। याची की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने 9 मई 18 को निर्देश दिया था कि राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्यवाही 90 दिन में पूरी करें। इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई तो 2024 में छः साल बाद दुबारा जनहित याचिका दायर की गई तो फिर से कोर्ट ने धारा 67की कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया। कहा गया कि एक प्लाट के बारे में 15 जुलाई 19 को अतिक्रमण हटाने का आदेश हुआ किन्तु उसपर अमल नहीं किया गया। याची अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के दो आदेश के बावजूद अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे। कोर्ट ने कहा जब कोर्ट अधिकारियो को अपना कर्तव्य निभाने का आदेश देती है तो कहते हैं कोर्ट सरकार चला रही। इसका यह जीता-जागता उदाहरण है कि कोर्ट क्यों कदम उठाती है। सार्वजनिक गांव सभा की जमीन का अतिक्रमण किया गया है। हाईकोर्ट ने दो बार याचिका निस्तारित कर इस उम्मीद के साथ निर्देश दिया कि अधिकारी अपना कर्तव्य निभायेंगे। अधिकारियों ने एक आदेश पारित किया किन्तु उसपर अमल नहीं किया गया। यह सब याची कह सकता है। प्रथमदृष्टया विपक्षी पावरफुल व्यक्ति लगता है, उसका अपना तरीका है।

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