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‘तलाक के बाद पत्नी ने नहीं की शादी तो गुजारा भत्ता की हकदार’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रॉपर्टी में भी हिस्सेदार होगी पत्नी

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के बाद गुजारा भत्ता और प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी को लेकर अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने तलाक शुदा पत्नी के गुजारे भत्ते में महंगाई और पति की बढ़ती मंथली सैलरी को भी ध्यान में रखा. सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी को दिए जाने वाले 20,000 रुपये के गुजारे भत्ते को बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया. साथ ही हर 2 साल में गुजारा भत्ता में 5 फीसदी के बढ़ोतरी के नियम को भी जोड़ दिया.

साथ ही पति के दूसरी शादी करने के बाद भी पहली पत्नी के बेटे को पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार होने की बात को स्वीकार किया गया है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला कोलकाता की राखी साधूखान की कन्टेप्ट पिटीशन पर सुनवाई के बाद सुनाया है. आर्डरशीट पर दोनों जजों के नाम मेंशन हैं जबकि आर्डर में सबसे पहले सिर्फ जस्टिस विक्रम नाथ का नाम मेंशन है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अमाउंट में हर दो साल में 5% की बढ़ोतरी होगी. यह फैसला उस समय आया जब पत्नी ने पहले से तय 20,000 रुपये के अमाउंट को नाकाफी बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी जो अब तक अविवाहित और स्वतंत्र रूप से रह रही हैं, उन्हें ऐसा भरण-पोषण मिलना चाहिए जो उनके वैवाहिक जीवन के स्तर को दर्शाता हो और उनके भविष्य को सुरक्षित रखे.

कोर्ट ने यह भी माना कि पति की आमदनी में समय के साथ बढ़ोतरी हुई है और वह अधिक भरण-पोषण देने की स्थिति में है. इसलिए पहले तय की गई अमाउंट को बढ़ाया जाना जरूरी है. ये डिवोर्स का मामला 17 साल से चल रह है.

मामले के अनुसार 18 जून 1997 को दोनों की शादी हिंदू रीति-रिवाज से हुई. 5 अगस्त 1998: दंपति को एक बेटा हुआ. जुलाई 2008 में पति ने तलाक के लिए केस दायर किया. पत्नी ने भी भरण-पोषण के लिए अलग से केस दाखिल किया.

14 जनवरी 2010 को ट्रायल कोर्ट ने पत्नी को 8,000 रुपये मंथली अंतरिम भरण-पोषण और 10,000 रुपये वकील खर्च के लिए देने का आदेश दिया.28 मार्च 2014 को कोर्ट ने पति को पत्नी को 8,000 रुपये और बेटे को 6,000 रुपये मंथली देने का आदेश दिया.

14 मई 2015 को हाईकोर्ट ने यह अमाउंट बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया. 1 जनवरी 2016 को कोर्ट ने पति के दायर तलाक का केस खारिज कर दिया और फिर 14 जुलाई 2016 को हाईकोर्ट ने पत्नी के लिए भरण-पोषण 20,000 रुपये मंथली तय कर दिया. इसके बाद 25 जून 2019 को हाईकोर्ट ने तलाक की मंजूरी दी.

29 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम आदेश में 50,000 रुपये मंथली कर दिया. इसमें हर 2 साल में 5% बढ़ोतरी का प्रावधान भी जोड़ा गया.

पत्नी की ओर से कहा गया कि 20,000 रुपये का अमाउंट तब तय किया था जब पति की इनकम बहुत कम थी, लेकिन अब उनकी मंथली इनकम 4 लाख रुपये के आसपास है, फिर भी इतने कम पैसे में गुजारा करना मुश्किल है. पत्नी के वकीलों ने कहा कि यह अमाउंट अंतरिम भरण-पोषण के तौर पर तय हुई थी, स्थाई नहीं और इसे अब जरूर बढ़ाया जाना चाहिए.

पति ने कहा कि वह अब दोबारा शादी कर चुके हैं और उन्हें अपने बुजुर्ग माता-पिता और नई पत्नी की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा अब 26 साल का है और स्वतंत्र है, इसलिए उसे किसी भी तरह का भरण-पोषण देना जरूरी नहीं है. उन्होंने अपनी सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और इनकम टैक्स रिटर्न भी अदालत के सामने पेश किए.

तलाकशुदा पत्नी को 50,000 रुपये मंथली मिलेंगे और यह अमाउंट हर दो साल में 5% बढ़ेगी. बेटे के लिए अब कोई अनिवार्य भरण-पोषण नहीं देना होगा, लेकिन पति यदि चाहें तो स्वेच्छा से उसकी पढ़ाई या जरूरतों में मदद कर सकते हैं. बेटे का पैतृक संपत्ति में अधिकार बना रहेगा.

Case: CIVIL APPEAL NO. 10209 OF 2024 RAKHI SADHUKHAN V/S RAJA SADHUKHAN

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