बिना पूर्व सूचना फ्लाइट रद्द करने पर टाटा SIA पर 50 हजार जुर्माना
जिला उपभोक्ता आयोग दिल्ली ने कहा बिना कोई कारण बताए टिकट रद्द करना ‘सेवा में कमी

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली ने बिना कोई कारण बताए और किसी वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था किए बिना शिकायतकर्ताओं के फ्लाइट टिकट को अचानक रद्द करने के लिए सेवा में कमी के लिए ‘विस्तारा एयरलाइंस’ को उत्तरदायी ठहराया. आयोग ने एयरलाइन कंपनी को 2870/- रुपये की राशि वापस करने का निर्देश साथ ही मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न और आघात के मुआवजे के रूप में प्रत्येक को 50,000 रुपये की राशि, मुकदमेबाजी खर्च के लिए 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया.
क्या था पूरा प्रकरण
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की पूनम चौधरी (अध्यक्ष) और बारिक अहमद (सदस्य) की बेंच के सामने गुहार लगाने वाले शिकायतकर्ताओं ने दिल्ली से चेन्नई की यात्रा के लिए विस्तारा एयरलाइंस से पांच टिकट खरीदे. उन्होंने 17.02.2024 को दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू करने के लिए 31,165/- रुपये की पूरी राशि का भुगतान करके ऑनलाइन टिकट बुक किए. चूंकि टिकट कन्फर्म हो गए थे, इसलिए शिकायतकर्ताओं ने होटल आवास के साथ-साथ चेन्नई से रामेश्वरम तक अपनी कनेक्टिंग यात्रा के लिए आरक्षण किया.
मजबूरी में महंगे दाम पर खरीदा टिकट
12.03.2024 को, शिकायतकर्ताओं को एयरलाइन कंपनी से एक संदेश मिला कि उनकी उड़ान रद्द कर दी गई है. शिकायतकर्ताओं द्वारा 16.03.2024 को शाम 7:00 बजे से पहले दिल्ली से चेन्नई के लिए वैकल्पिक उड़ानों की उपलब्धता के संबंध में पूछताछ की गई, ताकि रामेश्वरम के लिए उनकी आगे की यात्रा से पहले समय पर चेन्नई पहुंच सकें, यह पाया गया कि कोई उड़ान उपलब्ध नहीं थी. इसलिए, शिकायतकर्ताओं को एयर इंडिया से उच्च मूल्य यानी 34,025 रुपये पर टिकट खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा. एयरलाइन कंपनी की कार्रवाई से व्यथित होकर शिकायतकर्ता ने जिला आयोग में शिकायत दर्ज कर उचित राहत की प्रार्थना की.
एयरलाइंस कंपनी ने नहीं दिया जवाब
शिकायतकर्ताओं ने कहा कि बिना किसी विकल्प के उड़ान को अचानक रद्द करना जानबूझकर और जानबूझकर किया गया और यह ‘सेवा में कमी’ है. उन्होंने अनुरोध किया कि एयरलाइन कंपनी को उस राशि के अंतर के रूप में 2,870 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए जो एयर इंडिया को अधिक कीमत पर टिकट खरीदने के लिए भुगतान की गई थी. मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए उचित मुआवजा देने के लिए भी प्रार्थना की गई थी. दूसरी ओर, एयरलाइन कंपनी आयोग द्वारा समय दिए जाने के बावजूद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 38 (3) (a) के तहत आवश्यक शिकायत पर अपना लिखित जवाब दाखिल करने में विफल रही. कंपनी की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और इसलिए एयरलाइन कंपनी के बचाव पर रोक लगा दी गई. इसलिए, आयोग ने एयरलाइन कंपनी की ओर से प्रस्तुतियाँ सुने बिना एकपक्षीय यानी कार्यवाही की.