+91-9839333301

legalbulletin@legalbulletin.in

|

संविधान के Basic Structure पर 50 साल पुराना केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क

चीफ जस्टिस आफ इंडिया बीआर गवई ने किया अधिवक्ता पार्किंग, चैम्बर का शुभारंभ

संविधान के Basic Structure पर केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क
Chief Justice of India B.R. Gavai

चीफ जस्टिस आफ इंडिया बीआर गवई ने कहा है कि संविधान अब भी सर्वोपरि है. करीब पचास साल पहले केशवानंद भारती केस में 13 जजों की बेंच ने जो फैसला सुनाया कि संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर (Basic Structure) में बदलाव नहीं किया जा सकता है, वह आज भी लैंडमार्क है. इस केस ने ही तय कर दिया गया था कि फंडामेंटल राइट्स और डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स अलग अलग नहीं बल्कि एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं. दोनों साथ रहेंगे तभी सामाजिक और आर्थिक विकास के रथ को रुकने से बचाया जा सकता है. आज इस फैसले के 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं और यह आज भी जस का तस प्रासंगिक है. संविधान ने तय किया था कि देश के आखिरी व्यक्ति तक न्याय को पहुंचाना कर्तव्य है और आज इस पर काम हो रहा है. सीजेआई शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार के अधिवक्ताओं के लिए बनी 14 मंजिला नई बिल्डिंग का इनागरेशन करने के मौके पर आयोजित प्रोग्राम को चीफ गेस्ट के रूप में सम्बोधित कर रहे थे.

फंडामेंटल राइट्स और डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स संविधान की आत्मा
सीजेआई ने कहा कि तब संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करके पेश किया तो डिबेट हुई थी. डिबेट का जवाब देते हुए बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि एक व्यक्ति, एक वोट और एक वैल्यू का सिद्धांत लागू कर रहे हैं. उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि यह अब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि आर्थिक और सामाजिक असमानता को समाज से दूर नहीं किया जाता. जब तक सबको बराबरी का मौका नहीं मिलता, इसका मकसद पूरा नहीं होगा. वर्तमान समय की अच्छी बात यह है कि कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका समाज में समानता लाने में योगदान दे रही हैं. केशवानंद भारती केस के फैसले के बाद समाज के अंतिम व्यक्ति को सुविधाएं देने के लिए तमाम कानून बनाये गये. उन्होंने कहा कि बार और बेंच एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों साथ काम करेंगे तभी न्याय का रथ आगे बढ़ेगा. इलाहाबाद ने इसकी मिशाल पेश की है. मुझे बताया गया है कि अधिवक्ताओं के चैम्बर पार्किंग स्पेश के साथ विशाल आडिटोरियम तैयार करने के लिए दोनों ने 12 बंगलों को सरेंडर किया है तो लगा कि सहयोग का इससे बेहतरीन उदाहरण कोई दूसरा हो नहीं सकता.

संविधान के Basic Structure पर केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क

काम करने का माहौल तैयार होगा
सीजेआई ने अपने सम्बोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूरे होने के बाद प्रगति के पथ पर है. इलाहाबाद में जो बिल्डिंग तैयार हुई है उसे देखकर देश के दूसरे हाईकोर्ट में सवाल उठेगा कि उनके पास यह सुविधा क्यों नहीं है. पूरी बिल्डिंग में विश्व स्तरीय सुविधाएं हैं. यहां पोस्ट आफिस और भारतीय स्टेट बैंक के काउंटर भी हैं जो अधिवक्ताओं को ज्यादा सुविधा देंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बताया है कि जल्द ही वादकारियों के लिए भी ऐसी ही बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव है. प्रदेश की सभी जिला अदालतों की बिल्डिंग भी इसी तरह का बनाने का प्रस्ताव है, यह बताता है कि कार्यपालिका समानता का संदेश देने की दिशा में कार्य कर रही है. देश के हर नागरिक को सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में बढ़ रही है. इससे काम करने का माहौल तैयार होगा.

संविधान के Basic Structure पर केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क

नये दौर के चैलेंजेज के लिए तैयार करें
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पहले के दौर में सिविल और आपराधिक वाद ही ज्यादा होते थे. अब जागरुकता बढ़ गयी है तो अल्टरनेटिव लिटिगेशन के मामले आने लगे हैं. इसमें आर्थिक और मौलिक अधिकारों से जुड़े वाद ज्यादा हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार देश में सबसे बड़ा है तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह नये दौर के चैलेंज को एक्सेप्ट करे और पूरे देश को गाइड करे. ऐसा करना पूरे देश की न्याय पालिका की आवश्यकता है. ऐसा उन्हें इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने आजादी के आंदोलन में भी बड़ा योगदान दिया है. इसीलिए आज का दौर कंस्ट्रक्टिव रोज और लीडरशिप देने का है. उन्होंने  सीएम योगी से जिला अदालतों की व्यवस्था को भी बेहतर बनाने का आग्रह किया था जिसे इसके ठीक बाद अपने संबोधन में योगी ने स्वीकार कर लिया और और भविष्य का रोड मैप भी इसमें पेश किया.

संविधान के Basic Structure पर केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क

अधिवक्ताओं के लिए चैम्बर का होता था अभाव
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रमनाथ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में हमारे समय में व्यवस्था का अभाव था. मुझे चैम्बर नंबर 41 की कहानी याद आती है जिसमें करीब 35 से 37 अधिवक्ता आते थे. यहीं उनके मुंशी अपना बस्ता भी रख देते थे. वकीलों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं रह जाती थी. इस समस्या के समाधान पर बात होती थी. 2018 में जस्टिस अरुण टंडन के नेतृत्व में एक कमेटी बनी थी. उसमें चर्चा होती थी कि अधिवक्ताओं के लिए व्यवस्था होनी चाहिए. यहीं से बात शुरु हुई और आज हमारे सामने साकार हो चुका सपना है. यह सिर्फ अधिवक्ताओं के लिए है और अधिवक्ताओं को इसका बेहतरीन इस्तेमाल करना चाहिए. इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्र, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, यूपी के एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्र आदि मौजूद रहे.

अधिवक्ता निधि की राशि को डेढ़ लाख से बढ़ाकर पांच लाख, आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष कर दिया है. कॉर्पस फंड 500 करोड़ अलग से दिया है. किसी अधिवक्ता के साथ घटना-दुर्घटना होने पर न्यासी समिति उस परिवार के लिए इस पैसे का सदुपयोग करेगी. नए अधिवक्ताओं को पहले तीन वर्ष तक जनरल, मैग्जीन व पुस्तकों के लिए सहायता उपलब्ध करा रही है.
योगी आदित्यनाथ, सीएम यूपी

नवनिर्मित बिल्डिंग में उपलब्ध सुविधाएं

  • 14 मंजिला बहुउपयोगी भवन में बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर सहित पांच मंजिल पार्किंग के लिए आरक्षित
  • 6 मंजिल पर अधिवक्ताओं के लिए बनाये गये हैं चैम्बरमल्टीलेवल पार्किंग में 3835 वाहन पार्क करने की क्षमता
  • 2366 चैम्बर अधिवक्ताओं के लिए, 26 लिफ्ट, 28 एस्कलेटर और 04 ट्रैवलर्स
  • सबसे उपर की मंजिल पर 20000 वर्ग फीट में लाइब्रेरी की सुविधा
  • थर्ड जेंडर के लिए अतिरिक्त शौचालय की सुविधा

इसे भी पढ़ें…

One thought on “संविधान के Basic Structure पर 50 साल पुराना केशवानंद भारती केस अब भी लैंडमार्क

  1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इलाहाबाद हाई कोर्ट ब्रांच का एक्सटेंशन काउंटर तथा ई लॉबी का भी शुभ आरंभ हुआ है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *