+91-9839333301

legalbulletin@legalbulletin.in

|

lawful Worst: NHAI की जमीन Waqf की होने का दावा

इलाहाबाद HC ने कहा, मदरसा का दावा निराधार

NHAI की जमीन Waqf की होने का दावा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरा निर्माण NHAI की जमीन पर होने के बाद भी याचिकाकर्ता के Waqf संपत्ति की आड़ में अधिकारों के दावे को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मदरसा कासिमुल उलूम (Waqf) द्वारा लिखित बयानों में संशोधन की अनुमति देने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश पर आपत्ति दर्ज करायी है. कोर्ट ने कहा कि वादी द्वारा कराया गया पूरा निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग (NHAI) की जमीन पर है और याचिकाकर्ता Waqf संपत्ति की आड़ में अधिकारों का दावा कर रहा है. याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ एक मूल मुकदमा दायर किया था, जिसमें विवादित संपत्ति को ध्वस्त करने और उस पर नया निर्माण करने से रोकने वाले स्थायी निषेधाज्ञा की राहत का दावा किया गया था. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, “पत्राचारों को पढ़ने से स्पष्ट है कि वादी द्वारा किया गया पूरा निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग (NHAI) संख्या 73 की भूमि पर है और वक्फ (Waqf) संपत्ति की आड़ में याचिकाकर्ता अधिकार का दावा कर रहा है.
lawful: NHAI विचाराधीन भूमि का मालिक
प्रतिवादियों ने लिखित बयान को संशोधित करने के लिए संशोधन आवेदन इस आधार पर सही ढंग से प्रस्तुत किया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) विचाराधीन भूमि का मालिक है. निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग (NHAI) संख्या 73 पर खड़े हैं, जो वादी का नहीं है.” कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से अजय कुमार सिंह ने पक्ष रखा इसका प्रतिवाद सीएससी ने किया. तथ्यों के अनुसार विवादित जमीन को प्रतिवादियों को 34 रुपये मासिक किराए पर दिया गया था. शिकायत में कहा गया था कि उपरोक्त मदरसे में एक मस्जिद का निर्माण किया गया है जहाँ गरीब बच्चों को बुनियादी शिक्षा दी जाती है, और मदरसे का कामकाज दान पर निर्भर करता है. यह कहा गया था कि उक्त संपत्ति पर एक पुलिस चौकी खड़ी है, जो उपयोग से बाहर हो गई है.

मदरसे (Waqf) ने 34 रुपये प्रतिमाह किरायेदारी को स्वीकारा
प्रतिवादियों-प्रतिवादियों ने मुकदमे का विरोध किया और अपना लिखित बयान दायर किया जिसमें केवल 34 रुपये प्रति माह की किरायेदारी को स्वीकार किया गया, लेकिन शिकायत की बाकी सामग्री को अस्वीकार कर दिया गया. अतिरिक्त दलीलों में कहा गया कि वादी ने संपत्ति को वक्फ (Waqf)  संपत्ति होने का दावा किया था, लेकिन यह वक्फ (Waqf)  बोर्ड के समक्ष वक्फ के रूप में पंजीकृत नहीं थी, इस प्रकार, वादी को उक्त मुकदमा चलाने का कोई अधिकार नहीं था. मुकदमे के लंबित रहने के दौरान, प्रतिवादियों द्वारा अपने लिखित बयान में संशोधन के लिए एक संशोधन आवेदन पेश किया गया था. इस आवेदन को ट्रायल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने एक संशोधन पेश किया था, जिसे खारिज कर दिया गया था. यह उपर्युक्त पृष्ठभूमि में था कि रिट याचिका दायर की गई थी.

Waqf सम्पत्ति कब पंजीकृत हुई पता नहीं
​शिकायत के अवलोकन पर बेंच ने पाया कि वक्फ (Waqf)  मदरसे के ऊपर एक मस्जिद के साथ कुछ अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिनमें से एक को प्रतिवादियों को किराए पर दिया गया है. इस बात का कोई खुलासा नहीं किया गया कि संबंधित संपत्ति कैसे वक्फ (Waqf)  थी और यह कब पंजीकृत हुई थी. प्रतिवादियों ने अपने लिखित बयान में अतिरिक्त दलीलों में कहा कि उक्त वक्फ (Waqf)  का कोई पंजीकरण नहीं था, न ही शिकायत में कोई खुलासा किया गया था. स्टेशन हाउस अधिकारी को संबोधित राष्ट्रीय राजमार्ग प्रभाग (NHAI) के पत्रों का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा कि पूरा निर्माण, जो वादी द्वारा उठाया गया था, राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि पर खड़ा था. यह देखा गया कि प्रतिवादियों को इस तथ्य की कभी जानकारी नहीं थी कि पुलिस चौकी, जो कार्यरत थी, राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि पर बनाई गई थी. यह वर्ष 2014 में हुआ था जब राष्ट्रीय राजमार्ग प्रभाग (NHAI) के अधिकारियों द्वारा स्टेशन हाउस अधिकारी के साथ ये पत्राचार किया गया था, तब सच्ची तस्वीर सामने आई थी.

“यह एक क्लासिक मामला है, जहां एनएचएआई (NHAI) की भूमि पर वादी द्वारा अतिक्रमण किया गया है. मदरसे के साथ मस्जिद और कुछ अन्य निर्माण किए गए हैं, और संपत्ति को ‘वक्फ’ होने का दावा किया जा रहा है. वक्फ के विषय पर पिछले अधिनियमों को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एक वैध वक्फ के लिए आवश्यक विशेषता यह है कि सर्वशक्तिमान ईश्वर के स्वामित्व में संपत्ति का समर्पण होना चाहिए और लाभ को मानव जाति के लाभ के लिए समर्पित किया जाना चाहिए.

Case: 2495/2016 Wafq Madarsa Qasimul Uloom V/S State of UP and Others

इसे भी पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *