+91-9839333301

legalbulletin@legalbulletin.in

|

बाल यौन अपराधों से निपटने के लिए विशेष POCSO अदालतें स्थापित करें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया निर्देश, सर्वोच्च प्राथमिकता दे सरकार

बाल यौन अपराधों से निपटने के लिए विशेष पॉक्सो अदालतें स्थापित करें

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने गुरुवार को कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के मामलों के लिए विशेष अदालतों की संख्या अपर्याप्त होने के कारण, कानून के तहत सूनवाई को पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं हो पा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए ‘सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर’ समर्पित पॉक्सो (POCSO) अदालतें स्थापित करे.

राज्यवार ब्यौरा देने का दिया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि को रेखांकित किया गया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन जिलों में पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत 300 से अधिक मामलों की लंबित सुनवाई हो, वहां दो विशेष अदालतें स्थापित की जाएं. स्पष्ट किया कि जुलाई 2019 में दिए गए आदेश के तहत प्रत्येक जिले में 100 से अधिक एफआईआर वाले मामलों के लिए एक विशेष अदालत ही नियुक्त की जाएगी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता एवं न्यायमित्र वी गिरी और वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तरा बब्बर को पॉक्सो अदालतों की स्थिति पर राज्यवार ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

निर्धारित समय में हो मुकदमो की सुनवाई
दो जजों की बेंच ने कहा कि आंकड़ों को देखते हुए यह अपेक्षा की जाती है कि भारतीय संघ और राज्य सरकारें पॉक्सो (POCSO) मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उचित कदम उठाएं और सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए समर्पित अदालतें गठित करें. सुप्रीम कोर्ट ने कानून में निर्धारित अनिवार्य अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने के अलावा निर्धारित समय सीमा के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरा करने का भी निर्देश दिया.

कोर्ट गठित करने की आवश्यकता भी बतायी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने केंद्र से वित्त पोषण प्राप्त कर पॉक्सो मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के निर्देशों का अनुपालन किया है. तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों ने ऐसा नहीं किया है. ऐसे मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए अधिक पॉक्सो अदालतों की आवश्यकता है.

इसे भी पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *