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SRN अस्पताल में सभी सुविधाएं, तो इलाज प्राइवेट में क्यों?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अधिवक्ता न्यायमित्रों को भेजकर मांगी अस्पताल की हालत की निष्पक्ष रिपोर्ट

एसआरएन अस्पताल में सभी सुविधाएं, तो मरीज का इलाज निजी नर्सिंग होम में क्यों?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज , प्रयागराज से संबद्ध स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल (SRN) की प्राचार्य ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि एसआरएन अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. कोर्ट ने कहा कि जब एसआरएन अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं, तो सरकारी डाक्टर ने मरीज का इलाज एक निजी नर्सिंग होम में क्यों किया गया? हालत पर निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए दो अधिवक्ताओं को न्यायमित्र नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित प्राइवेट व जनरल वार्ड की हालत की निष्पक्ष रिपोर्ट मांगी है.

उपभोक्ता फोरम के आदेश को चुनौती
यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने डॉक्टर अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याची ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है. कोर्ट के 1 मई 2025 को दिए गए आदेश के अनुपालन में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के प्राचार्य से हलफनामे दाखिल किए. विशेष रूप से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के हलफनामे में स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल (SRN) की साफ-सुथरी तस्वीरें प्रस्तुत की गईं, जिनमें अस्पताल के विभिन्न विभागों की स्थिति दर्शाई गई है. कोर्ट ने कहा कि इन तस्वीरों से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अस्पताल में सुविधाएं पर्याप्त हैं और व्यवस्था नियंत्रण में है.

दस्तावेज और रियलिटी में अंतर
कोर्ट ने प्रश्न किया, यदि अस्पताल (SRN) में सुविधाएं वास्तव में इतनी अच्छी थीं, तो फिर मरीज का इलाज किसी निजी नर्सिंग होम में क्यों किया गया? न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह विरोधाभास दर्शाता है कि कागजी दस्तावेज और वास्तविक स्थिति में अंतर हो सकता है. इस संभावित अंतर की जांच के लिए अदालत ने अधिवक्ता ईशान देव गिरि और प्रभूति कांत त्रिपाठी को न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किया है. न्याय मित्रों को निर्देश दिया  है कि वे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का भौतिक निरीक्षण कर निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें. याचिका की अगली सुनवाई 20 मई को होगी.

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