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जस्टिस यशवंत वर्मा के लिए भारी रही 8 मई की रात

सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव पर लेना है फैसला, नहीं तो चल सकता है महाभियोग!

जस्टिस यशवंत वर्मा

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लिए गुरुवार 8 मई का दिन बेहद भारी रहा. उनके पास सुप्रीम कोर्ट का एक प्रस्ताव है. इस प्रस्ताव पर लिया गया फैसला उन्हें शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से शेयर कर लेना है. सूत्रों का कहना है कि यह प्रस्ताव उन्होंने स्वीकार कर लिया तो उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. अस्वीकार करने की स्थिति में उनके सामने और बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ सकता है. इस पर अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी सामने नहीं आया है सिर्फ इस पार्ट को छोड़कर कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में कैश बरामद होने के मामले में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट चीफ जस्टिस आफ इंडिया को सौंप दी है. कयास लगाये जा रहे हैं कि शुक्रवार को इस पर स्थिति साफ हो जायेगी.

14 मार्च को आग से कैश तक का सफर
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने कॅरियर की शुरुआत इलाहाबाद हाई कोर्ट से ही ​की थी. पहली बार वह जस्टिस भी यहीं से बने. बाद में उनका तबादला दिल्ली हाईकोर्ट कर दिया गया था. जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में 14 मार्च को संदिग्ध हालात में आग लगी थी. घटना के वक्त उनकी मां और बेटी ही घर में मौजूद थीं. उस वक्त जो फैक्टस सामने आये थे उसके मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा उस दिन अपनी पत्नी के साथ एक प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए मध्य प्रदेश गये हुए थे. जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाना पड़ा था. काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया लेकिन इसके बाद जो खुलासा हुआ, उससे न्यायपालिका पर सवाल उठाये जाने लगे. पता चला कि उनके घर में जले हुए नोटों की गड्डियां रखी हुई थी. तब जस्टिस वर्मा ने इसे साजिश बताते हुए आरोपों को खारिज कर दिया था.

जस्टिस यशवंत वर्मा
जस्टिस यशवंत वर्मा

वीडियो देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट सख्त
बताया जाता है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने एक वीडियो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शेयर किया था. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने यह वीडियो चीफ जस्टिस आफ इंडिया को शेयर कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रारंभिक रिपोर्ट और जस्टिस यशवंत वर्मा की उस पर रिएक्शन को शेयर कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 22 मार्च को तीन सदस्यों की कमेटी गठित की थी. इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागु, हिमाचम प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और र्काटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन को शामिल किया था. कमेटी ने 25 मार्च को मामले को संज्ञान लिया और जांच शुरू कर दी.

आज हो जायेगा फैसला!
मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों को सही ठहराया है. इस पर सीजेआई ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा दे देने का विकल्प देते हुए तलब किया है. इसी के आधार पर कयास लगाया जा रहा है कि शुक्रवार 9 मई को इस पर फैसला हो जायेगा. जस्टिस यशवंत वर्मा आरोपों को स्वीकार करते हुए या तो इस्तीफा दे देंगे या फिर उन पर महाभियोग चलाने के लिए फाइल राष्ट्रपति को भेज दी जायेगी.

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