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हाईकोर्ट ने डीएम, जीडीए व नगर निगम से पूछा, बंदरों से निबटने के लिए क्या प्रयास किये

कट रहे हैं जंगल, शहरों में बढ़ रहे हैं बंदर, हाईकोर्ट में दाखिल हुई पीआईएल

The High Court asked the DM, GDA and Municipal Corporation, what efforts were made to deal with the monkeys

पेड़ों की कटाई के चलते जंगल खत्म होते जा रहे हैं. इसके चलते बंदरों के पास ठिकाना नहीं बचा तो वह शहरों का रुख कर रहे हैं. गाजियाबाद में बंदरों की समस्या पीआईएल के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गयी है. चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने विनीत शर्मा और प्राजक्ता सिघंल की पीआईएल पर सुनवाई के बाद डीएम, जीडीए व नगर निगम गाजियाबाद सहित सभी प्रतिवादियों से हलफनामा मांगा है. बताने को कहा है कि कि बंदरों की समस्या के समाधान के लिए क्या प्रयास किए गए हैं. भविष्य में इस समस्या से निपटने के लिए क्या योजना बनायी गयी है.

बढ़ गया है मानव व बंदरों में संघर्ष
याचिका में कहा गया है कि शहर में बंदरों की आबादी में अनियंत्रित वृद्धि हो रही है. इस वजह से मानव व बंदरों का संघर्ष बढ़ गया है. बंदरों के आतंक से दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं और बच्चों की जान जोखिम में है. आए दिन आवासीय क्षेत्रों में बंदर किसी न किसी पर आक्रमण करते हैं. लोगों के घरेलू सामान, वनस्पति, पौधों और अन्य वस्तुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है. डीएम, नगर निगम व अन्य को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन कोई समाधान नहीं होने पर याचिका दाखिल की गई है.

लगातार बढ़ रही बंदरों की जनसंख्या
याचिका में कहा गया है कि गाजियाबाद में करीब 55 हजार बंदर हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. कोर्ट से बंदरों की संख्या को नियंत्रित करने और बंदरों के लिए वनीकरण की योजना बनाने, पर्याप्त भोजन, उनके लिए पशु चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल केंद्र स्थापित करने के संबंध में निर्देश देने की मांग की गई है. कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद जिलाधिकारी, गाजियाबाद नगर निगम व अन्य प्रतिवादियों से जवाब मांगा है. साथ सुनवाई के लिए अगली तिथि 10 जुलाई नियत की है.

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