इलाहाबाद बैंक लौटाए शैडो क्रेडिट एमाउंट, 8 फीसदी ब्याज भी दे
शैडो क्रेडिट एमाउंट हटाना बैंक को पड़ा भारी, उपभोक्ता फोरम ने लगाया बैंक पर जुर्माना

बैंक आप को शैडो क्रेडिट पर झूठा आश्वासन नहीं दे सकता. बैंक आ आश्वासन झूठा निकलता है तो आप बैंक के खिलाफ उपभोक्ता फोरम की शरण ले सकते हैं. यहां से आपको निश्चित तौर पर इंसाफ मिलेगा. इस तरह की याचिका लेकर उपभोक्ता फोरम पहुंचे थे प्रयागराज जिले के हिम्मतगंज मोहल्ले के रहने वाले सुनील अरोरा. फोरम ने न सिर्फ उन्हें पूरी राशि वापस करने का आदेश दिया है बल्कि उन्हें आठ फीसदी साधरण ब्याज की दर से हर्जाना भी भरने का आदेश दिया है.
बताया, दर्ज कर ली गयी है शिकायत
उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल करके उन्होंने बताया कि उनका सेविंग एकाउंट इलाहाबाद बैंक की सिटी ब्रांच में है. फैक्टस के अनुसार एक जनवरी 2020 में ऑनलाइन फ्राड के जरिए 10466 रुपये उनके खाते से उड़ा दिये गये. इसकी सूचना उन्होंने बैंक जाकर दी. उन्हें बैंक के कर्मचारियों ने भरोसा दिलाया कि शिकायत सीजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कर ली गई है. आप पुलिस में भी इसकी शिकायत दर्ज करा दीजिए.
शैडो क्रेडिट एमाउंट खाते से हटा दिया
इसके बाद एक डेवलपमेंट यह हुआ कि बैंक द्वारा खाते में मौजूद 10466 रुपये को शैडो क्रेडिट कर दिया गया. इस पैसे को पाने के लिए सुनील ने बैंक से सम्पर्क किया तो बताया गया कि आपका केस पेंडिंग है. डिसीजन आने के बाद ही आप अपना पैसा निकाल सकेंगे. 2021 में उन्होंने बैंक से पैसा रिलीज करने के लिए लिखित रूप से याचना की. बताया कि 2022 के आठवें महीने की 11 तारीख को बगैर किसी सूचना के खाते से शैडो बैलेंस को हटा दिया गया है. उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में बैंक के खिलाफ 2023 में वाद दाखिल कर दिया.
डेढ़ साल तक चली फोरम में सुनवाई
उपभोक्ता फोरम में करीब डेढ़ साल तक चले इस मुकदमे का फैसला पीड़ित के पक्ष में सुनाया. सुनवाई के दौरान आयोग ने अधिवक्ताओं के तर्कों व पत्रावलियों में उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया. जिसके आधार पर आयोग के अध्यक्ष व सदस्य ने परिवादी यानी उपभोक्ता को अकारण बैंक द्वारा परेशान करने का मामला साबित हुआ.
दो महीने के भीतर करें भुगतान
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मो इब्राहीम और प्रकाश चंद्र त्रिपाठी ने विपक्षी बैंक को आदेशित किया कि वह निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर सुनील अरोरा को 10466 रुपये का भुगतान करे. इसके साथ याची को बैंक को आठ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज क्षतिपूर्ति भी देनी होगी. इसके अलावा बैंक परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में दो हजार रुपये तथा वाद खर्च के रूप में एक हजार रुपये का भुगतान करे.