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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, स्टे लेकर मजा लेते हैं मुकदमेबाज, 2 सप्ताह का समय देने से इंकार

कोर्ट की देरी में वादकारी का भी होता है योगदान

इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, आश्चर्य है देश के नागरिक सुनवाई में देरी का विरोध प्रदर्शन करते है और जब वे वादकारी होते हैं तो सुनवाई टाल समय लेने से प्यार करते हैं और स्टे  को एंज्वाय करते हैं यह तथ्य है कि कोर्ट की देरी में वादकारी का भी योगदान है. स्थगनादेश लेने की प्रवृति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की. यह कहते हुए चुटकी ली कि इसकी न तो बात होती है न निंदा. इसे अनदेखा कर दिया जाता है. सोशल मीडिया मुकदमों के अंबार के लिए न्यायपालिका को दोषी ठहराने लगता है.

15 दिन का समय देने से इंकार
कोर्ट ने तहसीलदार को आदेश का पालन करने के लिए 15 दिन का समय देने से इंकार कर दिया और व्यक्तिगत हलफनामे के साथ हाजिर होने का आदेश दिया है. यह आदेश जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच एकलपीठ ने आजमगढ़ के शैलेन्द्र प्रजापति की याचिका पर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा, आश्चर्यजनक है कि अदालती देरी का व्यापक विरोध करने वाले वादी, जब अदालत में पेश होते हैं तो अपने उद्देश्य के अनुकूल स्थगन की मांग करते हैं और उसका आनंद लेते हैं. हाईकोर्ट ने कहा, इस प्रवृत्ति को ‘दृढ़ता से हतोत्साहित’ किए जाने की आवश्यकता है.

न्यायालय से कुछ अतिरिक्त समय मांग लें
जस्टिस ने यह टिप्पणी तब की जब उनके संज्ञान में यह बात लाई गई कि तहसीलदार ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता से कहा है कि वह रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से कुछ अतिरिक्त समय मांग लें. शैलेंद्र प्रजापति की तरफ से दायर जनहित याचिका में आरोप है कि ग्राम बेन्दुई, पोस्ट सरेन, परगना अतरौलिया, तहसील बुढ़नपुर आजमगढ़ में एक तालाब पर प्रतिवादियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है. यह भी बताया गया कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत तहसीलदार ने बेदखली का आदेश पारित किया था, लेकिन अभी तक उस पर अमल नहीं किया गया है.

कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया
हाईकोर्ट ने कहा, 10 अप्रैल को  बेदखली संबंधी आदेश का कथित रूप से पालन न होने पर तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी थी. प्रार्थना को खारिज करने के साथ-साथ स्थगन की मांग करने वाले वादियों को फटकार लगाते हुए, न्यायालय ने संबंधित तहसीलदार को तीन दिनों के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने या अगली सुनवाई की तारीख 30 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था. बुधवार 30  अप्रैल को सुनवाई का विवरण कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं है.

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