प्रयागराज शहर उत्तरी के भाजपा विधायक इं हर्षवर्धन के चुनाव के खिलाफ याचिका मंजूर
इं. हर्षवर्धन पर नामांकन पत्र में झूठी सूचनाएं देने का आरोप, चुनाव को रद करने की मांग

प्रयागराज: शहर उत्तरी प्रयागराज के भाजपा विधायक इं हर्षवर्धन बाजपेई के चुनाव को रद करने की मांग में दाखिल चुनाव याचिका की इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई करेगा. कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका की पोषणीयता सहित अन्य आपत्तियों को कोर्ट ने निस्तारित कर दिया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को वाद विंदु दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई की तिथि 5 मई नियत की है. इस दिन वाद विंदु तय किए जायेंगे. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने दिया है.
सम्पत्ति के विवरण में कई बातें असत्य
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेन्द्र व विधायक के अधिवक्ता मनीष गोयल व अन्य ने पक्ष रखा. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हर्षवर्धन बाजपेयी ने अपने नामांकन पत्र में कई झूठी जानकारियां दीं हैं, जैसे कि गलत शैक्षणिक योग्यता, संपत्ति के विवरण में असत्य बातें और सोशल मीडिया की जानकारी छिपाना. साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया कि विधायक ने झूठे शपथ पत्र दिए और भ्रष्ट आचरण किया. इससे मतदाता भ्रमित हुए और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है.
याचिका के कई पैरा निरर्थक
हर्षवर्धन की ओर से अधिवक्ताओं ने दलील दी कि याचिका में कई पैरा निरर्थक, अप्रामाणिक और अमर्यादित हैं, जिनमें कोई मौलिक तथ्य नहीं हैं. उन्होंने याचिका को रद्द करने की मांग की और कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. उन्होंने दलील दी कि पहले के वर्षों के नामांकन पत्रों का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि मामला 2022 के चुनाव से संबंधित है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद कई पैरा को खारिज कर दिया, विशेषकर वे जो 2007, 2012 और 2017 के चुनावों से संबंधित थे.
कुछ पैरा हटाने से पूरी याचिका समाप्त नहीं
कोर्ट ने कहा कि पूर्व के वर्षों की जानकारी 2022 के चुनाव में प्रासंगिक नहीं है. हालांकि, याचिका के कुछ पैरा को कोर्ट ने बरकरार रखा, जो 2022 के चुनाव में दाखिल हलफनामे की सच्चाई से संबंधित थे. याची का कहना था कि उम्मीदवार के बारे में सही जानकारी मतदाता का अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है. इस अधिकार का उल्लंघन मतदाता की चुनावी पसंद को प्रभावित करता है. सुप्रीम कोर्ट के कुछ पूर्व मामलों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि गलत जानकारी देना गंभीर दोष है.
याचिका के कुछ तथ्य विचारणीय
कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका में पूरी तरह से कोई ठोस आधार न हो, तभी उसे प्रारंभिक चरण में खारिज किया जा सकता है. लेकिन इस मामले में कुछ तथ्य विचारणीय हैं, इसलिए याचिका आंशिक रूप से बरकरार रहेगी और मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ पैरा को हटाने से याचिका पूरी तरह खत्म नहीं होती. शेष मुद्दों पर आगे बहस होगी और साक्ष्यों के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.