गैंगस्टर एक्ट के दुरूपयोग पर मुजफ्फरनगर के DM-SSP 7 जुलाई को तलब
हाईकोर्ट नाराज, SSP, DM, SHO खालापार व्यक्तिगत तलब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, 1986 (गैंगस्टर एक्ट) को बार-बार एक व्यक्ति के खिलाफ मनमाने ढंग से लागू करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे ‘कानून (गैंगस्टर एक्ट) का सरासर दुरुपयोग’ करार देते हुए जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और थानाध्यक्ष को स्पष्टीकरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से सात जुलाई को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है और आरोपी याची को गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज आपराधिक केस में सशर्त अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने मुजफ्फरनगर निवासी मनशाद उर्फ सोना की अर्जी की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा थाना प्रभारी खालापार ने गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज करने में मनमानी की और एसएसपी व जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर ने लापरवाही की है. इन अधिकारियों ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया इसलिए कोर्ट व सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लघंन करने के लिए स्पष्टीकरण के साथ तीनों अधिकारी हाजिर हो.
याची की ओर से दलील दी गई कि उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट पुराने मामलों के आधार पर लगाया गया था. इसके बाद दुबारा उन्हीं और एक नये मामले में जमानत मिलने के बाद गिरोह बंद कानून के तहत केस दर्ज किया गया है. तर्क दिया गया कि यह कैद की अवधि बढ़ाने के लिए कानून का दुरुपयोग की गई रणनीति को दर्शाता है. याची मई 2025 से जेल में बंद है.
उसके अधिवक्ता ने कहा कि यदि जमानत दी जाती है तो याची जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगा और मुकदमे की जांच कार्रवाई में सहयोग करेगा. पीठ ने आवेदक के वकील की दलीलों के बारे में पूछा तो एजीए यह कारण नहीं बता सका कि पुराने मामलों के आधार पर बार-बार गैंग्स्टर एक्ट क्यों लगाया जा रहा है?
कोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट का ऐसा यांत्रिक और बार-बार इस्तेमाल न्यायिक निर्देशों और गोरख नाथ मिश्रा बनाम यूपी राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य द्वारा जारी किए गए हालिया दिशा-निर्देशों दोनों काग उल्लंघन करता है. वर्ष 2024 में शीर्ष अदालत ने उप्र सरकार को अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों को तैयार करने की वांछनीयता पर विचार करने का निर्देश दिया था.
इस निर्देश के अनुपालन में, राज्य सरकार ने दो दिसंबर, 2024 को विस्तृत चेकलिस्ट के साथ कुछ निर्देश जारी किए. इन दिशा-निर्देशों को सुप्रीम कोर्ट ने नैनी प्रयागराज स्थित सैम हिग्गिनबाटम युनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर टेक्नालाजी एंड साइंसेज (शुआट्स) निदेशक विनोद बिहारी लाल से जुड़े मामले में कानूनी प्रवर्तनीयता दी.
“यह कृत्य पुलिस स्टेशन खालापार, जिला मुजफ्फरनगर के एसएचओ की मनमानी को दर्शाता है, बल्कि एसएसपी, मुजफ्फरनगर के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट, मुजफ्फरनगर की ओर से भी घोर लापरवाही दर्शाता है, जिन्हें यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) नियम, 2021 के नियम 5(3)(ए) के तहत संयुक्त बैठक आयोजित करने के समय अपने दिमाग का प्रयोग करने की आवश्यकता होती है.”
भ्रष्टाचार के आरोपी पुलिस कांस्टेबल की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपी पुलिस कांस्टेबल सतेंद्र यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और 90दिन में विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने सत्येन्द्र यादव की याचिका पर दिया है. याचिका में थाना सैयद राजा, जिला- चंदौली में दर्ज प्राथमिकी की वैधता को चुनौती दी गई है.