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वकील पर अदालत को ‘पक्षपात’ करने का आरोप

कोर्ट ने दिया अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश

वकील पर अदालत को 'पक्षपात' करने का आरोप

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक वकील के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है, जिसने हत्या के एक मामले में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत पर “पक्षपात करने और बेईमान” कहने का आरोप है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ की ने एक अपराधिक मामले में एक पक्ष के अधिवक्ता  के खिलाफ यह कार्रवाई की, जो मामले में शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

यह मामला तब सामने आया जब वकील ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत में लिखित दलीलें पेश कीं. इन दलीलों में उन्होंने अदालत पर पक्षपाती और बेईमान होने का आरोप लगाया. 

अदालत ने इन आरोपों पर कड़ा संज्ञान लिया. अदालत ने कहा कि वकील ने आवेदक के वरिष्ठ वकील की दलीलों का कोई विशिष्ट जवाब नहीं दिया, बल्कि सीधे अदालत पर पक्षपात और बेईमानी का आरोप लगाया.

न्यायालय ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस मामले का रिकॉर्ड न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम की धारा 15 के अनुसार आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए उपयुक्त अदालत के समक्ष रखा जाए. मैनुपरी के औंछा थाने में याची हरिभान व अन्य के खिलाफ एक दिसंबर 2023 को मुकदमा दर्ज कराया गया.

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि हरिभान और कई सह-आरोपी, लाठी, देशी पिस्तौल और देशी राइफल सहित विभिन्न हथियारों से लैस होकर घर पर हमला कर दिया. हमले में एक बेटी को गोली लगी और उसकी पत्नी और दूसरी बेटी को घायल हो गई. इस मामले में जेल में बंद आरोपी हरिभान ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी.

इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने  बार काउंसिल उत्तर प्रदेश को भी अधिवक्ता के आचरण पर विचार करने और यह तय करने का निर्देश दिया कि क्या यह वकीलों के लिए निर्धारित आचरण के अनुरूप है.

इस घटना के बाद अदालत ने खुद को इस जमानत याचिका की सुनवाई से अलग कर लिया और रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश से आदेश प्राप्त करने के बाद इसे किसी अन्य पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया.

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रोक के बावजूद गिरफ्तार करने वाले फतेहपुर के पुलिस अधिकारियों को नोटिस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अर्नेश कुमार केस के निर्देशों का पालन न कर याची की गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी की है. यह आदेश जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस संदीप जैन की खंडपीठ ने फतेहपुर के थाना कल्याण,गांव पहुर के निवासी अंकित सिंह की याचिका पर दिया है. याची के विरुद्ध दर्ज एक मुकदमे में सात वर्ष से कम सजा वाले अपराध में थाना कल्याणपुर पुलिस ने 06 जून 2024 को गिरफ्तार कर लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में दिए गए आदेश के अनुसार सात साल तक की सजा  के आरोपित अपराधों में गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है और कहा है कि  आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो सम्बंधित पुलिस अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही एवं अवमानना से दण्डित करने की कार्यवाही की जायेगी. याचिका पर अधिवक्ता अमित सिंह परिहार एवं ओंकारनाथ ने पक्ष रखा.

कोर्ट ने पुलिस उपाधीक्षक, बिंदकी सुशील कुमार दुबे (डीयसपी), तत्कालीन थानाध्यक्ष कल्याणपुर रमाशंकर सरोज, उपनिरीक्षक अवनीश कुमार, उपनिरीक्षक चंद्रपाल सिंह, कांस्टेबल राहुल के विरुद्ध आपराधिक अवमानना की नोटिस जारी किया है.

हाईकोर्ट की तरफ से अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने नोटिस ली. कोर्ट ने आदेश व याचिका की प्रति सुप्रीम कोर्ट आदेश का अनुपालन देख रही अथारिटी को देने का आदेश दिया और रजिस्ट्रार लिटिगेशन को कोर्ट कार्यवाही में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

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