गायब तालाब व जलाशयों की डीएम से हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी
पूछा गायब होने के कारणों का जिलाधिकारी करें खुलासा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुंदेलखंड के सात जिलों झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर व जालौन में गायब होते जलाशयों व तालाबों की स्थिति पर जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामे में जानकारी मांगी है.
कोर्ट ने कहा कि 1359 फसली से 20 साल तक का सर्वे करा कर जिलाधिकारी बताएं कि क्षेत्र में कितने तालाब मौजूद हैं और कितने गायब हो चुके हैं. यह भी बताएं कि तालाबों के गायब होने का कारण क्या है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने शुक्रवार को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
अखबार में बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 4250 तालाब गायब होने की खबर छपी. कोर्ट ने रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पंजीकृत करने का आदेश दिया. साथ ही अधिवक्ता प्रदीप कुमार सिहं व एससी वर्मा को न्यायमित्र नियुक्त किया. शुक्रवार को न्यायमित्र अधिवक्ता प्रदीप कुमार सिंह ने दलील दी कि चित्रकूट जिले के मऊ तहसील, गांव रामाकोल में तालाब और भीटा की जमीन चकबंदी में लोगों को आवंटित कर दी गई.
इससे बड़ी संख्या में गांवों में तालाब गायब हैं. उन्होंने कोर्ट से जल जीवन मिशन व मनरेगा के तहत बनाए गए तालाबों का अलग जानकारी मांगने की प्रार्थना की. कोर्ट ने सात जिलों के डीएम को नोटिस जारी कर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे करने और गायब व मौजूद तालाबों को विस्तृत जानकारी व्यक्तिगत हलफनामा के साथ प्रस्तुत करने का आदेश दिया. कोर्ट ने अगली तिथि 17 सितंबर नियत की है.
प्रतिनिधि वाद पर आपत्ति दाखिल करे हिन्दू पक्ष

इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले में शाही ईदगाह कमेटी की ओर सिर्फ प्रतिनिधि वाद पर सुनवाई करने की मांग पर हिंदू पक्ष को अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है. मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट से मांग की गई है कि सिर्फ प्रतिनिधि वाद पर सुनवाई हो और अन्य वादों पर सुनवाई न की जाए. इस प्रार्थना पत्र का हिंदू पक्षकारों ने विरोध किया है.
इस पर कोर्ट ने सभी को आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा. साथ ही अगली तिथि 12 सितंबर नियत कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति राममनोहर नारायण मिश्र ने दिया है. बता दें कि हाईकोर्ट के 18 जुलाई 2025 के आदेश से वाद संख्या 17 (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य) को प्रतिनिधि वाद बनाया गया है.
इसके बाद शाही ईदगाह कमेटी ने प्रार्थना पत्र दाखिल कर कर प्रतिनिधि वाद (वाद संख्या 17) पर सुनवाई करने और अन्य सभी वादों पर रोक लगाने की मांग की. इसका हिंदू पक्षकारों ने विरोध किया. कोर्ट ने विरोध करने वालों को आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है.
आगरा स्थित जामा मस्जिद की सीढि़यों के नीचे दबे विग्रह मामले में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कमीशन सर्वे पर रोक लगा रखी है. ऐसे में तबतक मामले में वाद बिंदु तय किए जाने चाहिए. उन्होंने वाद संख्या 13 में भी वाद बिंदु तय करने की मांग की है. इस पर 12 सितंबर को सुनवाई होगी.