UPSRTC के MD disabled के लिए कानून लागू करने को Trained करें
ड्राइवर को लाइट ड्यूटी देने व बकाया वेतन 7% ब्याज के साथ 4 माह में भुगतान का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में कार्यरत ड्राइवर की विकलांगता (disabled) को देखते हुए हल्की ड्यूटी देने तथा नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है. साथ ही disabled ड्राइवर को मार्च 22 से बकाये वेतन का भुगतान 7 फीसदी ब्याज सहित चार महीने में करने का भी आदेश दिया है.
कोर्ट ने निगम के प्रबंध निदेशक लखनऊ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अधिकारियो को प्रशिक्षित करे ताकि वे दिव्यांगों (disabled) के अधिकारों के प्रति संवेदनशील हों. साथ ही विकलांग (disabled) व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 को परिवहन निगम में भी छः माह में ईमानदारी से लागू किया जाय और इसकी नियमित आडिट की जाय.
कोर्ट ने साफ कहा कि यदि अधिकारी ब्याज सहित बकाया वेतन भुगतान करने में विफल होते हैं तो अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनके वेतन से वसूली की जाय. यह आदेश जस्टिस अजय भनोट की एकल पीठ ने हमीरपुर के निवासी बस चालक मोहम्मद नईम की याचिका पर दिया.
सेवाकाल में उसे दिव्यांगता (disabled) हुई. 28 मार्च, 2022 को उसने अधिकारियों को अपनी दिव्यांगता (disabled) और कठोर काम करने में असमर्थता के संबंध में अर्जी दी. मेडिकल बोर्ड ने भी दिव्यांगता (disabled) की पुष्टि की और हल्की ड्यूटी की सलाह दी. इसके बाद भी निगम के अधिकारियों ने उसे हल्की ड्यूटी नहीं दी. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
कोर्ट ने 14 अगस्त, 2024 को अधिकारियों को उसके आवेदन पर विचार करने और छह सप्ताह के भीतर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया. 4 अक्तूबर 2024 को नईम का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि चालकों के लिए कोई हल्की ड्यूटी का उपबंध नहीं है.

20 फरवरी, 2025 को कोर्ट ने एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया, जिसमंद किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के तीन विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे. इस बोर्ड ने 12 मार्च, 2025 को अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि याचिकाकर्ता विकलांग (disabled) व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 40 प्रतिशत लोकोमोटर दिव्यांगता (disabled) से पीड़ित है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि विकलांग (disabled) व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत यदि कोई कर्मचारी दिव्यांगता प्राप्त करने के बाद अपनी पिछली पोस्ट के लिए उपयुक्त नहीं है, तो उसे समान वेतनमान और सेवा लाभों के साथ किसी अन्य पोस्ट पर स्थानांतरित किया जाएगा. अधिनियम का पालन न करना उसके उद्देश्य के विपरीत है. कोर्ट ने प्रतिवादी अधिकारियों के आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि याची को हल्की ड्यूटी करने की अनुमति दिया जाए.
साथ ही प्रतिवादी चार महीने के भीतर याची के बकाए वेतन का भुगतान करेंगे. यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अधिकारी दिव्यांग (disabled) व्यक्ति अधिकार अधिनियम के तहत दिव्यांग (disabled) व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील हों और अधिनियम के विधायी इरादे को निगम में ईमानदारी से लागू करके सफल बनाया जाए. इस उद्देश्य के लिए, सक्षम प्राधिकारी द्वारा उचित आदेश जारी किए जाएंगे और प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा.

आदेश का पालन करें या 21 अगस्त को हाजिर हो
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम लोहिया कार्यशाला कानपुर के महाप्रबंधक गौरव पांडेय के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी की है और 21 अगस्त 25 तक कोर्ट आदेश का पूरा पालन कर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या हाजिर होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने रामनाथ सिंह की अवमानना याचिका पर दिया है।याची अधिवक्ता घनश्याम मौर्य का कहना है कि याची को ए सी पी व अन्य सेवा जनित परिलाभ नहीं दिया गया तो उसने प्रत्यावेदन दिया. हाईकोर्ट ने तीन माह में प्रत्यावेदन तय करने का निर्देश दिया. जिसका पालन नहीं किया गया.
देवरिया बस स्टैंड ध्वस्त किए तीन साल बाद भी निर्माण की समय सीमा न देने पर कोर्ट असंतुष्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 22 मे ध्वस्त किए गये जर्जर देवरिया बस स्टैंड के निर्माण के लिए सरकार द्वारा दी गई जानकारी को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि निर्माण प्रक्रिया की जानकारी दी गई किंतु कोई समय सीमा तय नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा बस स्टैंड ध्वस्त हुए तीन साल बीत जाने के बाद भी निर्माण की समयबद्ध कार्य-योजना न देना सही नहीं है.

कोर्ट ने राज्य सरकार से बस स्टैंड निर्माण की अवधि सहित पूरी जानकारी मांगी है और अगली सुनवाई की तिथि 19 अगस्त नियत की है. यह आदेश चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की बेंच ने अधिवक्ता प्रदीप कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
कोर्ट ने सरकार से 7 मई 25 के आदेश से बस निर्माण की जानकारी मांगी थी। दी गई जानकारी में बताया गया कि पीपीपी माडल में दूसरे फेज में कैबिनेट की मंजूरी के बाद बस स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। निर्माण एजेंसी की तलाश की जा रही है.
जिसकी बोली सही होगी उसी को तकनीकी जांच के बाद निर्माण की जिम्मेदारी दी जाएगी. विकास कार्य पूरा किया जाएगा. कोर्ट ने कहा दी गई जानकारी में कोई टाइम लाइन नहीं दी गई है. जर्जर बस स्टैंड ध्वस्त कर दिया गया।तीन साल बीते निर्माण की कोई योजना नहीं. यह स्थिति ठीक नहीं। सरकार पूरी जानकारी दें.
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