नाबालिग से गैंग रेप के तीन आरोपी उ उम्र कैद से बरी
हाइकोर्ट ने कहा, विरोधाभासी और अप्रमाणित बयानों के आधार पर नहीं की सकती दोषसिद्धि

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से गैंग रेप और पॉक्सो एक्ट में उम्र कैद की सज़ा पाए तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों पर लगाए आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा. जालौन के मानवेंद्र सिंह उर्फ झम्मन पाल, मलिक चंद्रा और शैलेंद्र कुशवाहा की अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस संदीप जैन की बेंच ने अपीलार्थियों के अधिवक्ता गोपाल जी खरे और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.
नाबलिग से हुआ था गैंगरेप
मामले के तथ्यों के अनुसार गैंग रेप पीड़िता के पिता ने जालौन थाने में एफआईआर दर्ज़ कराई थी कि कक्षा दस में पढ़ने वाली उसकी नाबालिग बेटी को मानवेंद्र सिंह, मलिक चंद्रा और शैलेंद्र कुशवाहा अपहरण करके ले गए और उसका गैंग रेप किया. पुलिस ने गैंग रेप पीड़िता को बरामद कर उसका बयान दर्ज किया और मेडिकल कराया. पीड़िता ने परीक्षण अदालत में अभियुक्तों की पहचान की और अपने बयान में आरोपों की पुष्टि की.
पीड़िता ने खुद को बचाने का प्रयास नहीं किया
हाईकोर्ट ने बचाव व अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि पीड़िता द्वारा पुलिस और अदालत के सामने दिए बयानों में विरोधाभास है. गैंग रेप पीड़िता ने पहले अपनी इच्छा से अभियुक्तों के साथ जाने की बात कही और फिर बयान बदल दिया. घटना के दौरान अवसर होने के बावजूद पीड़िता ने खुद को बचाने का प्रयास नहीं किया, जो स्वाभाविक आचरण के विपरीत है. साथ ही अभियोजन पक्ष अभियुक्तों पर लगाए गए आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं कर पाया. ऐसे में हाईकोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए तीनों अपीलार्थियों को आरोप बरी कर दिया.