सुनवाई का अवसर दिये बगैर suspension गलत, कुलसचिव का आदेश रद, 2 सप्ताह में फैसला लें : HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के विज्ञान संकाय के प्राणि विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे के suspension को रद्द कर दिया है. जस्टिस सीडी सिंह ने प्रोफेसर चौबे द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए विश्वविद्यालय को आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के suspension से संबंधित संपूर्ण पत्रावली अपनी कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने कहा कि कार्यकारी परिषद याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद यथाशीघ्र उचित और तर्कसंगत आदेश पारित करे. याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट की बेंच ने पहले याचिकाकर्ता की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द कर दिया था. जिसके बाद उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा निलंबित (suspension) कर दिया गया था.
विश्वविद्यालय की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने कहा कि कार्यकारिणी परिषद का गठन पहले ही किया जा चुका है और पूरे मामले को नए सिरे से निर्णय लेने के लिए कार्यकारिणी परिषद के समक्ष रखा जाएगा. इस पर न्यायालय ने “उपर्युक्त चर्चाओं और पूर्वगामी अनुच्छेदों में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कुलपति के अनुमोदन से विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा पारित आदेश रद कर दिया.
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वजीफा घोटाले में मदरसा प्रबन्धक की सशर्त जमानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वजीफा घोटाले के आरोप में जेल में बंद मदरसे की प्रबंधक मोहसिना खान को सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. यह आदेश जस्टिस समीर जैन ने दिया है. मोहसिना मेरठ के जाकिर कॉलोनी स्थित मदरसे में प्रबंधक थी. इस दौरान वजीफा राशि लगभग पांच लाख रुपये के गबन के आरोप में उनपर 2019 में थाना आर्थिक अपराध शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया. इस मामले में छह साल से चल रहे जांच के दौरान पुलिस ने गत 14 अगस्त को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया.
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कहा कि याची पर लगे सभी आरोप झूठे हैं. पुलिस इस मामले में छह साल तक कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई. जबकि याची जांच में सहयोग कर रही थीं और फरार भी नहीं हुई. कोर्ट ने सशर्त जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए कहा कि मोहसिना 65 वर्षीय महिला हैं और उनका कोई पिछला आपराधिक इतिहास नहीं है.
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