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सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत

कोलकाता हाईकोर्ट ने आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के मामले में लॉ की स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत दे दी है. लॉ छात्रा शर्मिष्ठा पनोली के ऑपरेशन सिंदूर के आलोक में मुसलमानों को निशाना बनाते हुए कथित रूप से आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद तत्काल राहत की मांग में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की गयी थी.

बता दें कि शर्मिष्ठा पनोली को 30 मई की देर रात गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया और कोलकाता लाया गया, जहां उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत

लॉ की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली ने कथित तौर पर इंस्टाग्राम और एक्स पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा वाली टिप्पणी पोस्ट की थी. शर्मिष्ठा पनोली ने अपनी एक वीडियो में उन अभिनेताओं की आलोचना की थी, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी. वह कथित तौर पर एक यूजर को जवाब दे रही थीं, जिसने पूछा था कि भारत ने बिना किसी कारण के पाकिस्तान पर गोलीबारी क्यों की.

शर्मिष्ठा पनोली ने अपनी वीडियो में कथित तौर पर अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया था. उसके खिलाफ 15 मई, 2025 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके दो दिन बाद 17 मई, 2025 को वारंट जारी कर दिया गया था. अपनी याचिका में, शर्मिष्ठा पनोली ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित रिमांड आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

हाईकोर्ट में स्टेट की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच के समक्ष सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पनोली भागने की कोशिश कर रही थी. उसे राज्य के बाहर से पकड़ा गया था. उसे मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. यह तर्क दिया गया कि आमतौर पर उपाय नियमित जमानत के लिए प्रार्थना करना है, लेकिन अदालत से अनुच्छेद 226 के तहत संपर्क किया गया था.

हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता ने अनुरोध किया कि मामले को नियमित पीठ के समक्ष रखा जाए. इस स्तर पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, “समन्वय पीठ द्वारा कुछ टिप्पणियां की गई थीं, तो इसका मतलब है कि या तो मैं याचिकाकर्ता के पक्ष में या खिलाफ टिप्पणी करता हूं. हालांकि कोई अन्य व्यक्ति कुर्सी पर है इसका मतलब यह नहीं है कि मामले की सुनवाई नहीं हुई”.

महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि यदि किसी शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है तो पुलिस को आरोप की सत्यता की परवाह किए बिना प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले में भी ऐसा ही किया गया था और एक बार प्राथमिकी दर्ज हो जाने के बाद “आरोपी को सहयोग करना चाहिए”.

इससे पहले हाईकोर्ट ने मंगलवार को शर्मिष्ठा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके वकील से कहा कि वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और ऐसा सुनने में आया कि इससे एक खास वर्ग की भावनाएं आहत हुई हैं. बेंच ने कहा कि हमें अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है, इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. अगर सजा 7 साल से कम भी हो, तो भी पुलिस को किसी को भी गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार है.

बेंच ने कहा कि अगर कथित अपराध की सज़ा 7 साल से कम है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस आपको गिरफ़्तार नहीं कर सकती. भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 35 की कोई भी शर्त पूरी होने पर पुलिस चाहे तो किसी को भी गिरफ़्तार कर सकती है, आपको पहले प्रावधान पढ़ने चाहिए.

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न समुदाय, जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते हैं. कोर्ट ने तय किया है कि शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कोलकाता के गार्डनरीच थाने में दर्ज केस को मुख्य मामला माना जाएगा, क्योंकि यह पहले दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ दर्ज अन्य सभी मामलों की कार्यवाही बंद की जाएगी.

कोर्ट को बताया गया कि पनोली का मामला यह था कि गिरफ्तारी अनुचित थी क्योंकि नोटिस तामील नहीं हुआ था. अदालत के इस सवाल पर कि पनोली ने नियमित जमानत का दावा करने के बजाय उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों खटखटाया, पनोली की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ने कहा कि शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया है क्योंकि “ईशनिंदा देश के कानून में नहीं है”.

आगे कहा कि याचिकाकर्ता एक “पाकिस्तानी लड़की को जवाब दे रहा था जिससे वह सोशल मीडिया पर बात कर रही थी”. उन्होंने कहा कि पनोली कानून की चौथी वर्ष की छात्रा है, उसने संबंधित वीडियो हटा दिया था और अगले ही दिन माफी मांग ली थी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद, कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि शिकायत में पनोली के कॉलेज का पता और ठिकाना बताया गया था और उसके द्वारा की गई टिप्पणियों के कारण उसे कथित धमकियों का सामना करना पड़ रहा था.

न्यायालय ने माना कि पनोली से आगे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है और उसे हिरासत से रिहा किया जा सकता है. न्यायालय ने उसे एक बांड के साथ अंतरिम जमानत प्रदान की और उसे मजिस्ट्रेट से इसकी पुष्टि करने और जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने राज्य पुलिस को यह भी आदेश दिया कि यदि पनोली को उसके पोस्ट के कारण किसी भी तरह की धमकी का सामना करना पड़ता है, तो उसे सुरक्षा प्रदान की जाए.

कोर्ट ने शर्मिष्ठा के देश छोड़ने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि शर्मिष्ठा पनोली बिना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकतीं. उन्हें 10 हजार रुपये के जमानत राशि जमा करनी होगी.

केस: शमिश्ता पनोली @ शर्मिष्ठा पनोली राज बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

केस संख्या: WPA/12361/2025

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