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Acquittal के खिलाफ अपील दाखिल करते समय संवेदनशीलता बरतें, राज्य पर 2 लाख हर्जाना

Acquittal के खिलाफ अपील दाखिल करते समय संवेदनशीलता बरतें, राज्य पर 2 लाख हर्जाना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रायल कोर्ट द्वारा आपराधिक मामले में दोषमुक्ति (Acquittal) आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करते समय संवेदनशीलता और सावधानी बरतने का निर्देश दिया है. कहा, दोषमुक्ति (Acquittal) के खिलाफ अपील दाखिल करने के तथ्यात्मक और अनिवार्य कारण होने चाहिए. लोक अभियोजक को अपील दाखिल करने का निर्देश देते समय अच्छे व पर्याप्त आधार, बहुत मजबूत परिस्थितियां और स्पष्ट दिखाई देने वाली गलतियां जिसके कारण Acquittalअपील दाखिल करना आवश्यक होने का विवरण राज्य सरकार के आदेश में होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा दोषमुक्ति (Acquittal) आदेश के खिलाफ केवल अपील दाखिल करने का आदेश देना पर्याय नहीं है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की बेंच ने बुलंदशहर के धीरेन्द्र कुमार की दहेज हत्या के मामले में दोषमुक्ति (Acquittal) के खिलाफ राज्य सरकार की अपील और अनुमति याचिका खारिज़ करते हुए दिया है. धीरेन्द्र कुमार की ओर से अधिवक्ता प्रणवेश और सौरभ केशरवानी ने पक्ष रखा.

Acquittal के खिलाफ अपील दाखिल करते समय संवेदनशीलता बरतें, राज्य पर 2 लाख हर्जाना

कोर्ट ने दोषमुक्त (Acquittal) आरोपी के खिलाफ परेशान करने वाली अपील दाखिल करने पर राज्य सरकार पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. धीरेन्द्र कुमार के खिलाफ बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाने में दहेज उत्पीड़न, दहेज हत्या सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप था कि उसकी प्रताड़ना और दहेज की मांग से ऊबकर उसकी पत्नी पिंकी ने खुदकुशी कर ली. इस मामले में बुलंदशहर की ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त (Acquittal) कर दिया. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की.

सरकारी वकील का कहना था कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन साक्ष्यों का उचित निष्कर्ष नहीं निकाला. अभियोजन पक्ष ने आरोपी का दोष संदेह से परे साबित किया है. उसकी ओर से पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. दूसरी ओर आरोपी के वकीलों का कहना था कि दोषमुक्ति (Acquittal) के आदेश में कोई गलती नहीं है. वकीलों ने खंडपीठ का ध्यान सुसाइड नोट की ओर दिलाया, जिसमें उसने खुदकुशी के लिए पढ़ाई के तनाव को कारण बताया है और पति को निर्दोष बताया है.

यह भी कहा गया कि सुसाइड नोट पूरी तरह सत्यापित किया गया है. एफएसएल रिपोर्ट में मृतका की हैंड राइटिंग का भी मिलान हो गया है. गवाहों के बयान में विरोधाभास है. प्राथमिकी में मृतका के दो माह की गर्भवती होने का जिक्र है जबकि मेडिकल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सही नहीं पाया गया.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों, सुसाइड नोट और गवाहों के बयानों की गहन समीक्षा करने के बाद कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषमुक्त (Acquittal) करने में कोई गलती नहीं की है. कोर्ट ने राज्य सरकार पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाते हुए 30 दिन के भीतर आरोपी धीरेन्द्र को इसका भुगतान करने का निर्देश दिया है.

हमारी स्टोरी वीडियो में देखें….

एक ही मामले में दुबारा दाखिल याचिका 50 हजार रूपए हर्जाने के साथ dismiss

Acquittal के खिलाफ अपील दाखिल करते समय संवेदनशीलता बरतें, राज्य पर 2 लाख हर्जाना

तथ्य छुपाकर दुबारा याचिका दाखिल करने पर याची पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए याचिका खारिज (dismiss) कर दी है. यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने मुरादाबाद के जुनैद हुसैन की याचिका पर दिया है.

याची पर मुरादाबाद के थाना भोजपुर में दहेज उत्पीड़न, दुष्कर्म, अप्राकृतिक दुष्कर्म व अन्य आरोपों मे एफआईआर दर्ज है. याची ने जिसे चुनौती दी. अपर शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार शर्मा ने कहा कि याची ने तथ्य छुपाकर यह याचिका दायर की है.

कोर्ट ने पाया कि याची ने इस मामले में पहले भी एक याचिका दायर की थी, जो खारिज (dismiss) हो गई. तथ्य छुपाकर दूसरी याचिका दायर करने को कोर्ट गंभीरता से लेते हुए याचिका खारिज (dismiss) कर दी. साथ ही याची को 50 हजार रुपये का हर्जाना विपक्षी तीन को एक माह में देने का आदेश दिया और कहा नहीं दिया तो विपक्षी जिलाधिकारी को अर्जी दे वह वसूली करके दिलायेंगे.

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