Governor की पूर्व अनुमति के बिना Retire कर्मचारी को चार्जशीट देकर नहीं की जा सकती विभागीय जांच
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने Retire पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच कार्यवाही की रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि Retire कर्मचारी के विरुद्ध चार्जशीट देकर विभागीय जांच कार्यवाही नहीं की जा सकती, बशर्ते सिविल सर्विस रेग्यूलेशन के अनुच्छेद 351ए के अंतर्गत राज्यपाल से पूर्व अनुमति न ले ली गई हो.
कोर्ट ने कहा, किसी कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की शुरुआत चार्जशीट से की जाती है. यदि कर्मचारी Retire हो चुका है तो उसे चार्जशीट नहीं दी जा सकती. इस उम्मीद से कि राज्यपाल की अनुमति मिल जायेगी, Retire कर्मचारी को चार्जशीट नहीं दे सकते. नियमानुसार राज्यपाल की पूर्व अनुमति लेकर Retire कर्मचारी को भी चार्जशीट दी जा सकती है.
कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ नियमित जांच के आवश्यक तत्वों को स्पष्ट करते हुए कहा कि तीन तत्व जरूरी है. पहला पुलिस अधिकारी सेवारत हो, दूसरा चार्जशीट जारी करने वाला अधिकारी सक्षम अधिकारी हो और तीसरा सक्षम अधिकारी उच्च पदस्थ अधिकारी हो. अनुशासनात्मक जांच नियमित मौखिक होनी चाहिए.
इसी के साथ कोर्ट ने Retire याची की पेंशन व ग्रेच्युटी रोकने के वित्त नियंत्रक विभाग पुलिस मुख्यालय लखनऊ के सहायक लेखा अधिकारी के आदेश 22 अप्रैल 24 व चार्जशीट 1 मई 24 को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है और ग्रेच्युटी सहित पूरी बकाया राशि छः हफ्ते में याची को वापस करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं किया तो Retire होने की तिथि से भुगतान करने तक की अवधि का 12 फीसदी ब्याज देना होगा. यह आदेश जस्टिस अजित कुमार की सिंगल बेंच ने आगरा के आनंद स्वरूप दोहरे की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर ने बहस की.
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Retire होने के बाद चार्जशीट दी गई
इनका कहना था कि याची को Retire होने के बाद चार्जशीट दी गई. ऐसा करने के लिए राज्यपाल की अनुमति नहीं ली गई. इसलिए पूरी जांच कार्यवाही शून्य व अवैध है. कोर्ट ने कहा ऐसा कोई नियम नहीं है जिसमें Rerive कर्मचारी के खिलाफ चार्जशीट देकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके और पूरी जांच कार्यवाही रद कर दी.
राष्ट्रीय जंबूरी के लिए छात्रों से अवैध वसूली के खिलाफ याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट में भारत स्काउट एवं गाइड उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय जंबूरी में शामिल होने वाले छात्रों से अवैध वसूली का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की गई है. यह याचिका गोरखपुर निवासी अश्वनी कुमार श्रीवास्तव ने दाखिल की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय जंबूरी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 56 करोड़ का बजट स्वीकृत किया जिसमें से 1.5 करोड़ जंबूरी किट के लिए दिए गए थे.
इसके बावजूद भारत स्काउट एवं गाइड उत्तर प्रदेश की ओर से प्रति छात्र 2000 रुपये और स्काउट लीडर से 25 सौ रुपये मांगा जा रहा है. इस संबंध में प्रादेशिक मुख्य आयुक्त ने एक पत्र भी जारी किया है. याचिका में छात्रों का पैसा वापस कराने और 56 करोड़ के खर्च की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने की मांग की गई है.
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