Base Case में बरी तो नहीं चल सकती गैंगस्टर एक्ट की Proceeding
हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट की केस कार्यवाही रद की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गैंग चार्ट में दर्ज मूल केस (Base Case) में बरी होने के बाद उसी आधार पर गैंगस्टर एक्ट केस Proceeding नही चलाई जा सकती. ऐसी Proceeding को भी रद्द किया जा सकता है और कोर्ट ने याची के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की केस Proceeding रद कर दी. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने गिरीश कुमार उर्फ गिरीश उपाध्याय की याचिका पर दिया है.
प्रयागराज के शंकरगढ़ थाने में याची गिरीश कुमार उर्फ गिरीश उपाध्याय के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था. याची गैंगस्टर की संपूर्ण कार्यवाही को रद्द करने की मांग में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की की. याची अधिवक्ता अभिषेक कुमार सरोज ने दलील दी कि याची के खिलाफ विभिन्न आरोपों में शंकरगढ़ थाने में दो केस और आगरा के सिकंदरा थाने में एक केस दर्ज किया गया था. इन्हीं केसो के आधार पर याची के खिलाफ गैंगस्टर की Proceeding की गई और शंकरगढ़ थाने में गैंगस्टर एक्ट की एफआईआर दर्ज की गई.
याची का कहना है कि आधार केसों में याची बरी हो गया है. ऐसे में गैंगस्टर की संपूर्ण Proceeding रद्द की जानी चाहिए. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि तर्क सही हैं. कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस पर गौर करते हुए कहा कि आरोपित बेस केस में बरी हो चुका है तो उसके खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट की Proceeding नहीं चलायी जा सकती.

गैंगस्टर अनस की सशर्त जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के पूर्व बसपाइ विधायक स्व. हाजी अलीम के बेटे अनस को गैंगस्टर केस में सशर्त जमानत दे दी है. यह आदेश जस्टिस अवनीश सक्सेना ने दिया है. बुलंदशहर के कोतवाली थाने में 2023 में अनस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज किया गया. याची अधिवक्ता ने दलील दी याची को झूठा फंसाया गया है.
आपराधिक इतिहास में दिखाए गए तीन मुकदमों में से एक में याची बरी हो गया है. दूसरे में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है और तीसरे में जमानत पर है. 2023 से वह जेल में है. जमानत दी जाती है तो वह इसका दुरुपयोग नहीं करेगा. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया.