पूर्व मंत्री पर अभद्र टिप्पणी करने वालों को राहत नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र पर तालाब की जमीन कब्जाने और उनके प्रति अभद्र भाषा (अभद्र टिप्पणी) का प्रयोग करने वालों को राहत नहीं दी है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज परिवाद को रद्द करने से इनकार करते हुए आरोपियों को ट्रायल कोर्ट के समक्ष डिस्चार्ज प्रार्थना पत्र दाखिल करने की छूट दी है. यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह ने विवेक कुमार दुबे व तीन अन्य की याचिका पर दिया है.
भदोही निवासी विवेक कुमार दुबे, राजपत दुबे, अनिल दुबे व गोपीनाथ मिश्र ने एक यूट्यूबर के साथ यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया था. उसमें पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र के प्रति अभद्र भाषा (अभद्र टिप्पणी) का प्रयोग करते हुए उन पर तालाब की जमीन कब्जा कर बालिका स्कूल खोलने का आरोप लगाया.
पूर्व मंत्री ने इन सभी के खिलाफ औराई थाने में मानहानि का वाद दर्ज कराया. एसीजेएम ने आरोपियों को सम्मन जारी किया. आरोपियों ने सम्मन आदेश और वाद की संपूर्ण कार्रवाई रद्द करने की मांग में यह याचिका दाखिल की थी.
याची के अधिवक्ता ने कहा कि याचियों को ट्रायल कोर्ट से नियमित जमानत मिल चुकी है इसलिए उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष आपत्ति दाखिल कर डिस्चार्ज अर्जी प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए. अपर शासकीय अधिवक्ता व विपक्षी अधिवक्ता ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की.
कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि याची याचिका में मांगी गई राहत को बल नहीं दे रहे हैं इस आधार पर याचिका खारिज़ की जाती है. साथ ही याचियों के अनुरोध पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि याची यदि डिस्चार्ज अर्जी दाखिल करते हैं तो ट्रायल कोर्ट उस पर सुनवाई के बाद कानून के अनुसार तार्किक आदेश करे.
अतीक गैंग के सदस्यों को राहत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जानलेवा हमला करने और मारपीट के मामले में दर्ज़ मुकदमे में अतीक गैंग के सदस्यों को राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने इनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. वदूद अहमद और पांच अन्य की याचिका पर जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने सुनवाई की.
याचीगण के खिलाफ 17 मई 2025 को थाना एयरपोर्ट प्रयागराज में जानलेवा हमला करने, मारपीट और धमकी देने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है. प्राथमिकी रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक की मांग को लेकर अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. कहा गया कि दर्ज प्राथमिकी से किसी अपराध का खुलासा नहीं होता है. इसलिए इसे रद्द किया जाए.
अपर शासकीय अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वादी अतहर को चोटे आई हैं. उसका मेडिकल परीक्षण भी हुआ है. इसलिए प्राथमिकी रद्द करने का कोई आधार नहीं है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा है कि याची चाहे तो अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.