महिला की नशबंदी में चूक, सरकार करे भरपाई
स्थाई लोक अदालत ने सरकार को पैदा हुई बच्ची के पोषण, शिक्षा तथा मां को मुआवजा का दिया निर्देश

प्रयागराज की स्थाई लोक अदालत ने एक महिला की नशबंदी के बाद बच्ची पैदा होने पर डाक्टरों की गंभीर चूक माना है. स्थायी लोक अदालत ने डाक्टर की इस गंभीर चूक के लिए सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रार्थी को मुआवजा दे तथा उसकी अनचाही संतान के लिए पोषण और शिक्षा की व्यवस्था करे.
यह आदेश प्रयागराज के स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन विकार अहमद अंसारी तथा सदस्य डॉ रिचा पाठक व सत्येन्द्र मिश्रा ने दिया है. आदेश में लोक अदालत ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह याची के अनचाही संतान बच्ची के पोषण के लिए दो लाख रुपए तथा उसके शिक्षा, रखरखाव आदि के लिए 5 हजार रुपए प्रतिमाह बच्ची की 18 वर्ष की आयु तक अथवा उसके ग्रेजुएशन की डिग्री लेने तक, जो भी पहले हो भुगतान करें.
यही नहीं स्थाई लोक अदालत ने मां को भी नशबंदी विफल हो जाने पर हुई मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा के लिए 20 हजार रूपए मुआवजा देने का सरकार को निर्देश दिया है.
मामले के अनुसार याची अनीता देवी ने प्रयागराज की स्थाई लोक अदालत में अर्जी दाखिल कर नशबंदी में विफलता को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी तथा डाक्टर की गल्ती के लिए कोर्ट से मुआवजा की मांग की थी.
याची एक गरीब महिला है. उसके पहले से ही की बच्चे हैं. उसने मऊआइमा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्रयागराज में डाक्टर नीलिमा से नसबंदी कराई थी. उसे बताया गया था कि उसकी नसबंदी सफल हो गई है और उसे अब आगे बच्चा पैदा नहीं होगा.
आपरेशन के कुछ दिनों बाद याची महिला को परेशानी हुई तो उसने अल्ट्रासाउंड कराया. 31 जनवरी 2014 को पता चला कि उसके पेट में 16 सप्ताह 6 दिन का बच्चा है. उसे लड़की पैदा हुई.
इस घटना से दुखी याची ने सीएमओ प्रयागराज को पक्षकार बनाते हुए स्थाई लोक अदालत में वाद दायर किया था तथा डाक्टरों की इस गंभीर चूक के लिए मुआवजे की मांग की थी.