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HC की न्यायिक कार्य क्षमता केवल 54% प्रतिशत

हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पद भरने की PIL पर सुनवाई आज

HC की न्यायिक कार्य क्षमता केवल 54 प्रतिशत

इलाहाबाद हाईकोर्ट (HC) में जजो की कमी दूर करने व खाली पदो‌ को भरने की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई शुक्रवार को होगी। याचिका अब शुक्रवार को जस्टिस वीके बिड़ला और जस्टिस जितेन्द्र कुमार सिन्हा की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई है. यह महत्वपूर्ण जनहित याचिका ऐसे समय दाखिल हुई, जब हाईकोर्ट (HC) में साढ़े 10 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, और कोर्ट की न्यायिक कार्य क्षमता केवल 54 प्रतिशत है. वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी की इस याचिका में न सिर्फ रिक्त पदों को भरने के लिए समयबद्ध, पारदर्शी और उत्तरदायी तंत्र की मांग की गई है, बल्कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है.

केस को लिस्ट करने में चूक
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और अधिवक्ता शाश्वत आनंद व सैयद अहमद फैजान ने बताया कि याचिका की सूचीबद्धता में पांचवी बार चूक हुई. इससे पहले चार बार कभी न्यायाधीशों की अस्वीकृति, तो कभी गलत खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्धता हुई. 28 मई को पांचवी बार यह याचिका गलती से मुख्य न्यायाधीश की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध हो गया जबकि चीफ जस्टिस पहले ही इस मामले से स्वयं को अलग कर चुके थे. उन्होंने इसे उपयुक्त खंडपीठ को सौंप दिया जिससे अब 30 मई को सुनवाई सुनिश्चित की गई है.

HC ने माना गंभीर संवैधानिक मामला
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में जब यह मामला जस्टिस एमसी त्रिपाठी की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष था तो उन्होंने इसे गंभीर संवैधानिक मुद्दा मानते हुए राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से स्पष्ट निर्देश मांगे थे. बाद में हाईकोर्ट कॉलेजियम में शामिल होने के कारण उन्होंने भी न्यायिक शुचिता के लिए खुद को इस मामले में सुनवाई से अलग कर लिया.

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