जवाबी हलफनामा दाखिल करने को पक्षकारों से पैसा मांग रहे विवेचनाधिकारी
हाईकोर्ट का डीजीपी को निर्देश, सुनिश्चित कराएं कि पैसा न मांगा जाय

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवेचना अधिकारियों द्वारा जवाबी हलफनामा दाखील करने के लिए पक्षकार से पैसे मांगे जाने की प्रवृति पर नाराजगी जताई है. और प्रदेश के डीजीपी से कहा है कि वह इस आशय का परिपत्र जारी करें कि कोई भी पुलिस अधिकारी हलफनामा दाखिल करने के लिए पक्षकार को फोन न करें और पैसे की मांग न करें.
जांच अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश
फतेहपुर निवासी कमलेश कुमार मिश्र व अन्य के मामले में जस्टिस प्रशांत कुमार ने जांच अधिकारी मधुसूदन वर्मा के खिलाफ उचित जांच के लिए डीजीपी को मामला भेजा और कहा कि “जवाब दाखिल करने के लिए पक्षकार से पैसे मांगने की प्रथा बेहद निंदनीय है”. याची के वकील ने बताया कि जांच अधिकारी ने सुबह 11.47 बजे पक्षकार को फोन किया और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के एवज में तीन हजार रुपये की मांग की है. यह चलन बन गया है कि जांच अधिकारी पक्षकार को फोन कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए पैसे मांगते हैं.
विवेचक न कहा, जानकारी लेने को फोन किया था
अदालत में मौजूद विवेचनाधिकारी ने माना कि उन्होंने जानकारी के लिए फोन किया था. अपने व्यक्तिगत हलफनामे में जांच अधिकारी ने कहा है कि उन्होंने मामले में संतोषजनक जवाब देने के लिए आवेदक को फोन किया था, बात समझ में नहीं आई तो फोन काट दिया और पैसे की मांग नहीं की थी. याची ने पुलिस विभाग की छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं. इस कथन पर असंतोष जताते हुए अदालत ने कहा, “व्यक्तिगत हलफनामे में लिया गया रुख जांच अधिकारी के आचरण को स्पष्ट नहीं करता. विवेचना अधिकारी के खिलाफ उचित जांच जरूरी है. कोर्ट में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी.