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Fact छिपाकर आदेश प्राप्त करने का पता चला ​तो हाईकोर्ट ने अपना आदेश वापस लिया, सुनवाई 9 अक्तूबर को

Fact छिपाकर आदेश प्राप्त करने का पता चला ​तो हाईकोर्ट ने अपना आदेश वापस लिया, सुनवाई 9 अक्तूबर को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Fact छिपाकर आदेश प्राप्त करने पर नाराजगी जताते हुए आईआईएफएल होम फाइनेंस के पक्ष में पूर्व में दिए गए अपने आदेश को वापस ले लिया है. पूर्व आदेश में फाइनेंस कंपनी को एक संपत्ति का कब्जा लेने की अनुमति दी थी जिससे एक परिवार बेघर हो गया था. कोर्ट ने अब गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को तुरंत उस परिवार को संपत्ति का कब्जा वापस देने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस शेखर बी शराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की बेंच ने दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को आईआईएफएल होम फाइनेंस की याचिका पर एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के तहत कोर्ट ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को सरफेसी एक्ट के तहत जारी किए गए कब्जे के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया था. हालांकि इस आदेश के बाद प्रभावित परिवार (प्रतिवादी संख्या 6 और 7) ने एक ‘रिकॉल’ याचिका दायर की.

Fact छिपाया था कि ऋण वसूली न्यायाधिकरण ने पहले ही एक आदेश जारी किया था

उन्होंने अदालत को बताया कि आईआईएफएल ने यह जानकारी (Fact) छिपाई थी कि लखनऊ के ऋण वसूली न्यायाधिकरण ने पहले ही 29 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश में आईआईएफ को संपत्ति का कब्जा लेने से पहले 15 दिन का नोटिस देने का निर्देश (Fact) दिया गया था. इसके बाद भी परिवार को बिना किसी नोटिस के उनके घर से हटा दिया गया था और वे अब सड़क पर हैं.

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कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद पाया कि आईआईएफ ने याचिका में गलत (Fact) जानकारी दी थी. कंपनी ने याचिका के पैरा 27 में दावा किया था कि उधारकर्ता ने सरफेसी अधिनियम के तहत कोई कार्यवाही किसी भी फोरम जैसे डीआरटी या डीआरएटी या हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी है. यह दावा (Fact) पूरी तरह से झूठा साबित हुआ.

अदालत ने इसे “सत्य को दबाने और झूठ का सुझाव देने” का मामला बताया. कोर्ट ने कई पिछले फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि जो व्यक्ति “स्वच्छ हाथों” (Fact) के साथ अदालत नहीं आता उसे कोई राहत नहीं मिल सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि “झूठ पर आधारित मामले वाले व्यक्ति को अदालत में आने का कोई अधिकार नहीं है. उसे मुकदमे के किसी भी चरण से बाहर किया जा सकता है.

यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने अपना 28 अगस्त 2025 का आदेश पूरी तरह से वापस ले लिया. कोर्ट ने आईआईएफ और गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को तत्काल प्रभाव से प्रतिवादी संख्या 6 और 7 को उनके निवास (Fact) का कब्जा वापस दिलाने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी. उस दिन याची कंपनी को कोर्ट के आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.

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