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हाईकोर्ट ने फोटो पहचान के लिए 500 रुपये का शुल्क निलंबित किया

किसी भी सार्वजनिक नोटरी के समक्ष शपथ-पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी

हाईकोर्ट ने फोटो पहचान के लिए 500 रुपये का शुल्क निलंबित किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनउ बेंच ने अंतरिम उपाय के रूप में निर्देश दिया है कि बार एसोसिएशन द्वारा फोटो पहचान के लिए 500 रुपये का शुल्क वादियों से नहीं लिया जाना चाहिए. जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि जब “डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने” के प्रयास किए जा रहे हैं, केवल फोटो पहचान के लिए वादियों को फोटो खिंचवाने के लिए लम्बी दूरी तय करने की प्रथा को जारी रखना ठीक नहीं है. कोर्ट ने ने कहा कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के साथ अवध बार एसोसिएशन ने “केवल प्रस्तावों के आधार पर कानून की मंजूरी से परे राशि वसूल की है. इस तरह की प्रथा को जारी रखना न तो वांछनीय है और न ही यह न्याय के मंदिर के लिए शुभ संकेत है” जिसे “सभी को न्याय तक पहुँच” प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए बार निकायों की सक्रिय मदद से काम करना है”

हाईकोर्ट बार एसोसिएशनों को अपने सदस्यों के कल्याण के लिए कदम उठाने का अधिकार
500 रुपये की राशि वसूलने के संबंध में अवध बार एसोसिएशन के महासचिव मनोज द्विवेदी ने अवगत कराया कि उनके संकल्प के अनुसार, यह वकील ही हैं जो उक्त राशि जमा कर रहे हैं, जो बाद में अधिवक्ता निधि के रूप में उनके खाते में भुगतान की जाती है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशनों को अपने सदस्यों के कल्याण के लिए कदम उठाने का अधिकार है, लेकिन इसे इस न्यायालय के समक्ष याचिकाओं, आवेदनों, अपीलों आदि के रूप में दायर किए गए मुकदमों की मात्रा से नहीं जोड़ा जा सकता है. श्री द्विवेदी द्वारा तर्क दिया गया कि कल्याणकारी उपायों को हलफनामों के साथ जोड़ना स्पष्ट रूप से अनुचित और कानून के विपरीत है. इसके बाद कोर्ट ने अंतरिम आदेश के माध्यम से, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और अवध बार एसोसिएशन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी दर पर फोटो पहचान के लिए वादियों/अधिवक्ताओं से कोई राशि नहीं ली जाए.”

सार्वजनिक नोटरी के समक्ष शपथ-पत्र स्वीकार करना चाहिए
अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ​​ने रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर स्पष्ट रूप से कहा कि नोटरी पब्लिक द्वारा शपथ पत्र द्वारा समर्थित याचिकाओं, आवेदनों और अन्य दाखिलों को खारिज करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि कोई भी याचिका जिसके साथ नोटरी अधिनियम के तहत नियुक्त नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ पत्र दिया गया हो, याचिकाओं और अन्य दाखिलों के संबंध में वैध दस्तावेज है और रहेगा. इलाहाबाद और लखनऊ दोनों जगहों पर फोटो पहचान पत्र के लिए 500 रुपये लेने सहित विवादों को जन्म देने वाले तथ्य के संबंध में, कहा गया कि जनहित याचिका संख्या 55060/2015 में, इस न्यायालय की एक बेंच ने उच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार नियुक्त शपथ आयुक्त के समक्ष शपथ पत्र देने के तरीके पर विचार किया था. इस कोर्ट को बार एसोसिएशन द्वारा फोटो पहचान पत्र की सुविधा का लाभ उठाने के लिए ग्राहकों से लगाए जा रहे शुल्क के तरीके से अवगत कराया गया और यह देखा गया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा राशि वसूलने की कार्रवाई को कोई कानूनी मंजूरी नहीं है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को दिनांक 04.09.2015 के उनके संकल्प के अनुसरण में कार्य करने से रोकने के लिए एक निषेधाज्ञा पारित की गई थी जब तक कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा रूपरेखा प्रस्तुत नहीं की जाती है और चीफ जस्टिस द्वारा अनुमोदित नहीं की जाती है.

शपथपत्र अभिसाक्षी के निवास पर क्यों नहीं
याचिकाकर्ता के वकील ने पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए स्थगन की मांग की थी क्योंकि अभिसाक्षी फोटो पहचान और हलफनामे की शपथ-ग्रहण के लिए लखनऊ की यात्रा नहीं कर सकता था. इस पर जस्टिस भाटिया ने पूछा कि नोटरी अधिनियम, 1952 के तहत शपथपत्र उस स्थान पर क्यों नहीं दिया जा सकता था, जहां अभिसाक्षी नोटरी द्वारा निवास कर रहा था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नोटरी अधिनियम, 1952 के तहत कोई रोक नहीं है, इलाहाबाद हाईकोर्ट की रजिस्ट्री केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट  नियमों के अध्याय IV के तहत नियुक्त शपथ आयुक्तों द्वारा शपथ लिए गए हलफनामों को स्वीकार करती है. यह देखते हुए कि प्रथम दृष्टया वादियों से ली जा रही 400/- रुपये की अतिरिक्त लागत जो फोटो हलफनामा केंद्र से वकीलों को जा रही है, कानून द्वारा स्वीकृत नहीं थी, न्यायालय ने उक्त मुद्दे पर न्यायालय की सहायता के लिए अधिवक्ता तुषार मित्तल को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था.

दोष हाईकोर्ट नियमावली में निर्धारित नहीं
हाईकोर्ट के वकील ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि रजिस्ट्रार, हाईकोर्ट के अनुसार, नोटरी अधिनियम के तहत नियुक्त नोटरी पब्लिक द्वारा शपथ लिए गए हलफनामे द्वारा समर्थित किसी भी याचिका, आवेदन और अन्य फाइलिंग को अस्वीकार करने का कोई प्रस्ताव नहीं था. यह कहा गया कि ऐसा कोई भी नोटरीकृत हलफनामा वैध दस्तावेज था. इस मुद्दे पर कहा गया कि यदि हलफनामों को पब्लिक नोटरी द्वारा नोटरीकृत किया जाता है, तो हाईकोर्ट की वेबसाइट पर दोषों की सूची के अनुसार दाखिल करने में दोष होगा और वादियों को वैसे भी असुविधा होगी. यह भी कहा गया कि ऐसे दोष (संख्या 272) हाईकोर्ट नियमावली में निर्धारित नहीं थे. यह रिकॉर्ड पर लाया गया कि जनहित याचिका संख्या 55060/2015 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने बार एसोसिएशन को उनके प्रस्तावों के अनुसार शुल्क लेने से रोक दिया था, जब तक कि मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तौर-तरीके प्रस्तुत नहीं किए जाते और उनके द्वारा अनुमोदित नहीं किए जाते. अभिषेक शुक्ला बनाम हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एवं अन्य में, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की गवर्निंग काउंसिल द्वारा पारित 31.10.2022 के प्रस्ताव के खिलाफ फिर से स्थगन आदेश पारित किया गया, जिसके तहत फोटो पहचान के लिए 500/- रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था. इसके बावजूद, इलाहाबाद और इलाहाबाद दोनों फोटो हलफनामा केंद्रों पर 500/- रुपये का शुल्क लिया जा रहा था.

रजिस्ट्रार जनरल राजीव भारती की तरफ से जारी आदेश

न्यायालय के फोटो शपथ पत्र प्रणाली की प्रक्रिया के क्रियान्वयन हेतु पूर्व कार्यालय ज्ञापन संख्या 805/प्रशासन जी-1/इलाहाबाद दिनांक 09.08.2023 के स्थान पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय नियम, 1952 के अध्याय IV नियम 3 में निहित प्रावधानों के अनुसार, माननीय न्यायालय द्वारा इस आशय का संशोधित कार्यालय ज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया गया है कि: 

  • (1) शपथ आयुक्त एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें शपथ लिए गए प्रत्येक शपथ पत्र के संबंध में निर्धारित विवरण होंगे
  • (2) प्रत्येक शपथ पत्र के अभिसाक्षी को अपना पासपोर्ट आकार का फोटो इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन या इलाहाबाद एवं अवध बार एसोसिएशन लखनऊ बेंच, लखनऊ द्वारा जारी पहचान संख्या के साथ लगाना होगा
  • (3) एक विशेष मामले के लिए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन या इलाहाबाद एवं अवध अधिवक्ता संघ लखनऊ पीठ, लखनऊ द्वारा किसी व्यक्ति को एक पहचान संख्या आवंटित की जाएगी, जिसका उपयोग उसी मामले में उसी अभिसाक्षी द्वारा भरे जाने वाले सभी पश्चातवर्ती हलफनामों के लिए किया जा सकेगा
  • (4) किसी मामले में किसी विशेष अभिसाक्षी को आवंटित पहचान संख्या भी रजिस्टर में विशेष रूप से दर्ज की जाएगी; बशर्ते कि राज्य या संघ सरकार के अधिकारियों या राज्य के निकायों की ओर से दायर किए जाने वाले हलफनामों के संबंध में उपरोक्त तौर-तरीकों पर जोर नहीं दिया जाएगा. बशर्ते कि कोई अधिवक्ता जिसके पास माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी एओआर संख्या है, लेकिन वह उपरोक्त एसोसिएशनों का सदस्य नहीं है, उसे फोटो पहचान संख्या देने से इनकार नहीं किया जाएगा.
  • यह भी निर्देश दिया जाता है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन या इलाहाबाद एवं अवध बार एसोसिएशन लखनऊ बेंच, लखनऊ द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति और इसमें शामिल प्रशासनिक व्यय को ध्यान में रखते हुए, बार एसोसिएशन या इलाहाबाद एवं अवध बार एसोसिएशन लखनऊ बेंच, लखनऊ द्वारा प्रति पहचान संख्या एक सौ पच्चीस रुपये की राशि ली जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल की पूर्व स्वीकृति के बिना निर्धारित राशि में वृद्धि नहीं की जाएगी.
  • Case :- WRIT – C No. – 3389 of 2025

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