एक के खिलाफ FIR पर पूरे परिवार को परेशान करने पर हाईकोर्ट तल्ख
उचित विवेचना करें और याचियों को गिरफ्तार न करें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण में परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ एफआईआर (FIR) होने पर पूरे परिवार को परेशान करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने आजमगढ़ कोतवाली के ऐसे ही मामले में आरोपी फैसल की मां इशरत जहां व भाई सलीम अहमद को राहत दी है. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए कोतवाली पुलिस को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 का अनुपालन करते हुए उचित विवेचना करने और याचियों को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया.
अपहरण में नाबालिग की संलिप्तता की जांच हो
कोर्ट ने कहा कि अपहरण में किसी नाबालिग की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए. बीएनएसएस की धारा 35 (3) में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को उन सभी मामलों में नोटिस जारी करना चाहिए जहां धारा 35 (1) के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है. जांच की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. क्योंकि याचियों को नाबालिग लड़की के अपहरण में सीधे शामिल होने के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया है.
आजमगढ़ के शहर कोतवाली का मामला
यह आदेश जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस अवनीश सक्सेना की बेंच ने याचियों के अधिवक्ता को सुनकर दिया है. आजमगढ़ निवासी इशरत जहां के बेटे फैसल के विरुद्ध आजमगढ़ के थाना कोतवाली में बीएनएस की धारा 87,137 (2), 351(3) को एफआईआर (FIR) दर्ज हुई. कोतवाली पुलिस इस एफआईआर (FIR) के अनुक्रम में इशरत जहां, उसके बेटे सलीम अहमद और पिता आफताब को परेशान करने लगी. पुलिस की इस उत्पीड़नात्मक कार्यवाही के विरुद्ध इशरत और उसके बेटे सलीम अहमद ने यह याचिका दाखिल की थी.
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