टेंडर में धोखाधड़ी के आरोपी उदयभान एवं रजनी की गिरफ्तारी पर रोक
HC ने कहा, विवेचना में सहयोग न देने पर आदेश वापसी की दे सकते हैं अर्जी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अस्पताल टेंडर में धोखाधड़ी और अनियमितता के आरोपी उदयभान सिंह व रजनी सिंह की पुलिस रिपोर्ट पेश होने या उसपर संज्ञान लेने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि याचीगण यदि विवेचना में सहयोग नहीं करते तो यह आदेश वापस लेने की अर्जी दी जा सकती है. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए पुलिस को 90 दिनों के भीतर विवेचना पूरी करने का भी निर्देश दिया है.
यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने उदयभान सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका में वाराणसी के लंका थाने में दर्ज प्राथमिकी की वैधता को चुनौती देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
30 मई 2025 को प्रो. एसएन संखवार, निदेशक, आईएमएस बीएचयू द्वारा लंका थाने में टेंडर में धोखाधड़ी और अनियमितता का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. जिसकी विवेचना जारी है. प्रकरण का उद्गम अगस्त 2024 में बीएचयू अस्पताल द्वारा पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के अंतर्गत जारी टेंडर से है, जो डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं एवं अन्य चिकित्सीय कार्यों के लिए आमंत्रित किया गया था.
प्राथमिकी में यह आरोप है कि अभियुक्तगण ने टेंडर में भाग लेने हेतु दो कूटरचित अनुभव प्रमाणपत्र संलग्न किए तथा सात रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों के जाली हस्ताक्षर कर फर्जी नियुक्ति अनुबंध पत्र प्रस्तुत किया, जिससे बीएचयू प्रशासन को धोखा देने का प्रयास किया गया.
30 मई 2025 को प्रो. एसएन संखवार, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (आईएमएस) द्वारा उक्त तथ्यों के आधार पर लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 336(3), 338, 340(2), 318(4), 61(2)(ए) के अंतर्गत गंभीर आरोप लगाए गए हैं. याचिका में अभियुक्तों ने अपने कृत्य को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग की थी.