फैक्ट चेकर ज़ुबैर पर FIR पर हस्तक्षेप से इंकार
विवेचना पूरी होने तक सहयोग की शर्त पर गिरफ्तारी नहीं होगी, विदेश जाने पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी यति नरसिंहा नंद गिरी के बयान को लेकर डासना मंदिर पर भीड़ को हमले के लिए ट्वीट कर उकसाने के आरोपी फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. किंतु कहा है कि विवेचना पूरी होने तक याची फैक्ट चेकर ज़ुबैर की गिरफ्तारी नहीं की जाय बशर्ते वह विवेचना में सहयोग करें. कोर्ट ने विवेचना के दौरान याची फैक्ट चेकर ज़ुबैर के देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी है.
विवेचना में सहयोग पर संरक्षण
कोर्ट ने कहा एफआईआर से प्रथमदृष्टया अपराध का खुलासा हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि किसी के साथ अन्याय न होने पाये, इसलिए विवेचना जरूरी है. याची फैक्ट चेकर को अंतरिम राहत मिली थी, उसने दुरूपयोग नहीं किया है. इसलिए उसे विवेचना पूरी होने तक संरक्षण दिया जा रहा है. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस डा वाईके श्रीवास्तव की बेंच ने फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याची पर कई बार ट्वीट कर लोगों को यति नरसिंहा नंद के खिलाफ भड़काने के आरोप में गाजियाबाद के कविनगर थाने में उदिता त्यागी ने 7 अक्टूबर 24 को एफआईआर दर्ज कराई. आरोप लगाया कि याची फैक्ट चेकर के ट्वीट से भड़के सैकडों लोगों ने डासना मंदिर पर हमला किया. शिकायतकर्ता व यति नरसिंहा नंद मंदिर में मौजूद थे. पुलिस ने 3 अक्टूबर 24 को नरसिंहा नंद के 29 सितंबर 24 के बयान को लेकर एफआईआर दर्ज की थी. इस कार्रवाई को नाकाफी मान याची ने पब्लिक को हमले के लिए भड़काया और हमला किया गया. शिकायतकर्ता को धमकी भी दी गई.
152 बीएनएस का अपराध नहीं बनता
याची अधिवक्ता का कहना था कि उसके खिलाफ धारा 152 भारतीय न्याय संहिता का अपराध नहीं बनता. उसने फैक्ट चेक किया था. अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल किया था. कुछ लोगों के मंदिर पर हमले से उसके ट्वीट को नहीं जोड़ा जा सकता. देश की 142.80 करोड की आबादी में केवल कुछ हजार लोगों ने ही उसकी ट्वीट देखी है. यह भीड़ भरे थियेटर में आग का टेस्ट करने जैसा मामला नहीं है. कोर्ट ने कहा कि तथ्यों से प्रथमदृष्टया अपराध का खुलासा होता प्रतीत हो रहा है जिसकी विवेचना जरूरी है.
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