थानों में कबाड़ हो रहे वाहनों को निस्तारित करें
हाईकोर्ट ने दिया निर्देश, जब्त वाहनों के निस्तारण के लिए उच्च-स्तरीय समन्वय समिति बनाए सरकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में जब्त करके रखने के चलते कबाड़ हो रहे वाहनों और पुलिस थानों, आबकारी गोदामों और परिवहन डिपो में पड़े वाहनों के निस्तारण के लिए सरकार को एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस काम में हो रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. जस्टिस विनोद दिवाकर ने मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को एक उच्च-स्तरीय समन्वय समिति गठित करने का निर्देश दिया है इस समिति का उद्देश्य जब्त कबाड़ वाहनों के समयबद्ध और प्रभावी निस्तारण के लिए एक व्यापक नीति और दिशानिर्देश तैयार करना है, ताकि उनके और अधिक नुकसान को रोका जा सके.
आर्थिक गतिविधि के महत्वपूर्ण घटक हैं कबाड़ हो रहे वाहन
कोर्ट ने कहा कि जब्त किए गए वाहन केवल अपराध के उपकरण नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे और आर्थिक गतिविधि के महत्वपूर्ण घटक हैं. इन वाहनों को पुलिस थानों, आबकारी गोदामों या परिवहन यार्डों में सड़ने देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नुकसान है. डेटा से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस थानों में लगभग 72,776 (कबाड़) वाहन जब्त पड़े हैं. आबकारी विभाग के पास 923 वाहन (कबाड़) हैं, और परिवहन विभाग के पास 39,819 वाहन लंबित हैं. इनमें से 11,819 वाहन 45 दिनों से अधिक समय से परिवहन विभाग की हिरासत में हैं, जो यूपी मोटर कराधान नियम, 1998 के नियम 19-ए का उल्लंघन है. जिसमें 45 दिनों के बाद वाहन की नीलामी की एक स्पष्ट प्रक्रिया है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि समन्वय समिति द्वारा किया गया पूरा अभ्यास छह महीने की अवधि के भीतर पूरा हो जाए.
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