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अतिक्रमण पर आपराधिक केस कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग, केस कार्यवाही रद

हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे मामलों में लोक संपत्ति क्षति निवारण एक्ट की कार्रवाई अवैध, राजस्व संहिता की धारा 67 में होगी कार्यवाही

अतिक्रमण पर आपराधिक केस कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ग्राम सभा की भूमि चकरोड पर  अतिक्रमण के विरुद्ध सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के तहत कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग एवं अवैध है. ऐसे मामलों में राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत राजस्व अदालत में कार्यवाही की जा सकती है. कोर्ट ने चकरोड के अतिक्रमण मामले में लेखपाल की रिपोर्ट पर चल रहे आपराधिक केस को रद कर दिया है. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने ब्रह्मदत्त यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

राजस्व न्यायालय से ही होगा अधिकारों का निर्धारण
कोर्ट ने कहा कि ग्राम सभा की भूमि पर अतिक्रमण, क्षति के लिए आपराधिक कार्रवाई तो की जा सकती है, लेकिन यह विवादित भूमि पर पक्षों के अधिकारों के अधिनिर्णय के अधीन होगी क्योंकि अधिकारों का निर्धारण केवल राजस्व न्यायालय द्वारा ही किया जा सकता है. लेखपाल ने याची ब्रह्मदत्त यादव व अन्य के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3/5 के तहत एफआइआर दर्ज कराई थी. आरोप लगाया कि सर्वेक्षण में ग्राम सभा की भूमि के आस-पास और चकरोड का अतिक्रमण कर लिया. आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बाद समन जारी किए गए. इसे आवेदक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. 

कोर्ट ने की 1984 के एक्ट की व्याख्या
यह तर्क दिया गया कि अतिक्रमण के संबंध में मुद्दा बेदखली की कार्यवाही में राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत तय किया जाना था. मुंशी लाल और अन्य के फैसले पर गौर करते हुए न्यायालय ने कहा 1984 के अधिनियम का उद्देश्य दंगों और सार्वजनिक हंगामे के दौरान होने वाली तोड़फोड़ और क्षति सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की गतिविधियों पर अंकुश लगाना था.

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