अतीक के वकील विजय मिश्रा को मिली पैरोल, मां की 13वीं में होंगे शामिल
उमेश पाल हत्याकांड में साजिश का आरोपी बनाकर पुलिस ने भेजा था जेल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया अतीक अहमद के करीबी और उमेश पाल हत्याकांड में साजिश के आरोपी विजय मिश्रा को मां की 13वीं में शामिल होने के लिए अल्पकालिक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. वह 26 मई तक के लिए जेल से बाहर रहेगा. पैरोल मंजूर करने वाला आदेश जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की बेंच ने याची पक्ष की अधिवक्ता मंजू सिंह और शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड की दलीलें सुनने के बाद दिया.
10 मई को हुआ था मां का निधन
याचिका में बताया गया कि विजय मिश्रा की माता का निधन 10 मई को हुआ था और उनकी तेरहवीं 23 मई को निर्धारित है. 10वां और 13वीं संस्कार में उन्हें बेटे के तौर पर शामिल होना चाहिए. इसी को आधार बनाकर हाईकोर्ट में पैरोल पर रिहा करने के लिए याचिका दाखिल की गयी थी. विजय मिश्र की तरफ से अधिवक्ता मंजू सिंह ने पक्ष रखा तो सरकारी पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि विजय मिश्रा के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं. वह पैरोल का दुरुपयोग कर सकता है.
26 की शाम तक इटावा जेल में करना होगा समर्पण
दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि मां के निधन के बाद होने वाले अंतिम संस्कार जैसे भावनात्मक अवसर पर किसी को जाने से इनकार करना उचित नहीं होगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विजय मिश्रा को पैरोल के दौरान पुलिस अभिरक्षा में रखा जाएगा. सुरक्षा में होने वाले सम्पूर्ण खर्च का भुगतान खुद विजय मिश्रा को करना होगा. इस शर्त को जोड़ने के साथ कोर्ट ने यह शर्त भी एड कर दी कि उसे हर हाल में 26 मई शाम पांच बजे तक इटावा जेल में आत्मसमर्पण करना होगा.