ठगी की FIR दर्ज न करने वाले PO से मांगा स्पष्टीकरण
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर बागपत में करोड़ों की ठगी के आरोप में FIR न दर्ज किए जाने को गंभीरता से लिया है और पुलिस को निर्देश दिया कि या तो याचियों की शिकायत का समाधान कर अनुपालन का हलफनामा दाखिल करें या ऐसा न करने का कारण स्पष्ट करें.

इस आदेश का पालन न करने की स्थिति में कोतवाली बागपत के संबंधित अधिकारी अगली सुनवाई की तिथि सात जुलाई को सुबह 10 बजे उपस्थित हों. यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने मंजू देवी व तीन अन्य की याचिका पर अधिवक्ता शरदेंदु मिश्र को सुनकर दिया है.
कहा कि बागपत मेंड परिवार उत्थान समिति नाम की संस्था में गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर करोड़ों की ठगी की गई. याचियों सहित कई ग्रामीण महिलाओं ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर संस्था से संबंधित लोगों को ध्यान दिलाना चाहा तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाने लगी.
इस पर उन महिलाओं ने थाना प्रभारी व पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उनकी FIR दर्ज नहीं हुई. साथ ही जब पूरा घटनाक्रम डीएम बागपत के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच कर आख्या देने का निर्देश दिया लेकिन वह भी अब तक लंबित है.
कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रार्थना पत्र में संज्ञेय अपराध दृष्टिगोचर हो रहा हैं तो संबंधित थाना प्रभारी का यह विधिक कर्त्तव्य है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कर घटना की निष्पक्षता पूर्वक जांच करें लेकिन इस के बाद भी याची महिलाओं की रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई.