इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को 25 हजार रुपये में ही एलॉट हो सकते हैं चैम्बर!
जुलाई में बुलायी जायेगी इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल हाउस, हो सकता है नयी कार्यकारिणी के चुनाव पर फैसला
प्रयागराज! लम्बे समय से अपने नाम का चैम्बर एलॉट होने की उम्मीद लगाये बैठे इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों को सिर्फ 25 हजार रुपये में चैम्बर एलॉट हो सकता है. यह कहना है इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी का. वह शुक्रवार को बुलायी गयी इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की आम सभा को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वैसे तो चैम्बर की फीस पांच से सात लाख तक रखने का प्रस्ताव है लेकिन चूंकि बिल्डिंग निर्माण का पूरा खर्च सरकार ने दिया है तो वकीलों से कमाई नहीं की जानी चाहिए. चैम्बर एलाटमेंट के लिए सीनियारिटी को ही क्राइटेरिया रखा जाना चाहिए. बताया कि चैम्बर एलाटमेंट को लेकर मिटिंग बुलायी गयी थी. उन्होंने अपनी तरफ से आब्जेक्शन पेश कर दिया. इसके बाद मिटिंग एडजर्न कर दी गयी! उनका कहना था कि वह पूरा प्रयास करेंगे कि चैम्बर वकीलों को टेबल चेयर के साथ मिले.

पेश की गयी आडिट रिपोर्ट
आम सभा की शुरुआत में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री तिवारी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 की आडिट रिपोर्ट पेश की. इसमें उन्होंने चौंकाने वाले खुलासे किये. उन्होंने जानकारी दी कि इस दौरान अधिवक्ता निधि में कुल 24 करोड़ 84 लाख से अधिक रुपये आये और खर्च 24 करोड़ 99 लाख से ज्यादा रुपये कर दिये गये. 15 लाख रुपये का कोई हिसाब रिकॉर्ड पर नहीं मिला. उन्होंने कहा कि इंटरनल आडिट में इस वित्तीय वर्ष के दौरान लाइब्रेरी हाल में कुल 41 लाख रुपये एसी लगवाने पर खर्च होना दिखाया गया है. एसी कहां है यह सभी सदस्यों को खोजकर पता लगाना चाहिए. अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि इसी दौरान 35 लाख रुपये इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी हाल में कुर्सियों के मद में खर्च हुआ है. कितनी कुर्सियां नई आयीं और कितने की मरम्मत करायी गयी. यह अधिवक्ता साथियों से छिपा नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि जब वर्तमान कार्यकारिणी ने पिछले साल मई में चार्ज लिया तब उन्हें खाते में 37 लाख रुपये कम मिले थे. यह पैसा कहां गया, रिकॉर्ड पर कुछ भी दर्ज नहीं है. उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों के सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह अनुमति दें तो 2018 से लेकिन 2025 तक की फोरेंसिक आडिट करा दी जाय. सदस्यों ने इस पर अपनी सहमति दी! बीच में कुछ सदस्यों ने यह सवाल जरूर पूछ दिया कि फोरेंसिक आडिट कराने पर खर्च कितना आयेगा! इसका जवाब मिला कि अभी बताया नहीं जा सकता है.
फर्जी मेडीक्लेम लेने वाले अधिवक्ता होंगे ब्लैक लिस्टेड
श्री तिवारी ने एक और चौंकाने वाला खुलासा यह किया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के करीब तीन दर्जन अधिवक्ता ऐसे हैं जिन्होंने पिछले फाइनेंशियल इयर में करीब 16 लाख रुपये का मेडिकल क्लेम किया था. इस पैसे का उन्हें भुगतान भी कर दिया गया. चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसका भी रिकॉर्ड नहीं है कि किसे क्या बीमारी थी! इलाज कहां करवाया गया. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन केइन सभी अधिवक्ताओं की लिस्ट तैयार हो चुकी है. इस लिस्ट को बार एसोसिएशन की दीवार पर फोटो के साथ चस्पा किया जायेगा ताकि सभी अधिवक्ता सदस्यों को पता चले कि बार के पैसे का कैसे दुरुपयोग किया गया है.
फोटो आईडी का पेमेंट आनलाइन ही करावें
उन्होंने सभी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन केअधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे क्लाइंट की फोटो आईडी बनवाते समय कैश में पेमेंट न करें! इसके दो फायदे होंगे. पहला फायदा यह कि पेमेंट जमा करने में समय बच जाएगा और दूसरे भ्रष्टाचार की गुंजाइश ना के बराबर हो जायेगी. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान तथ्य सामने आया कि तमाम अधिवक्ता ऐसे हैं जिनकी अधिवक्ता निधि खाते में पड़ी है. दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में इन सभी के एकाउंट में पेमेंट भेजवाया है. इसके बारे में उन अधिवक्ताओं को भी नहीं पता है. उनके खाते में पैसा पहुंचा तो वह क्वैरी करने चले आए कि उनके खाते में पैसा कैसे आ गया है.
जल्द आएगा बार का एप, खुद कर सकेंगे प्रोफाइल में करेक्शन
शुरुआत में ही उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों के लिए डेडीकेटेड एप डेवलप कराया जा रहा है. इस एप में अधिवक्ता की सम्पूर्ण डिटेल होगी! उनकी पूरी प्रोफाइल यहां डिस्प्ले होगी! इसमें करेक्शन का आप्शन भी उनके पास होगा. उन्होंने कहा कि आनलाइन होने के बाद सभी अधिवक्ताओं को यह एप डाउनलोड कर लेना चाहिए ताकि उन्हें छोटे मोटे कामों के लिए भटकना न पड़े. एप डाउनलोड करने के बाद सभी को नामिनी का नाम जरूर फिल कर देना चाहिए ताकि क्लेम के समय उनके परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.
एल्डर कमेटी को सौंप देंगे वित्तीय चार्ज
आम सभा में उन्होंने घोषणा की कि 2 जून को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वर्तमान कार्यकारिणी का समय पूरा हो जायेगा. इसके बाद वह वित्तीय चार्ज एल्डर कमेटी को सौंप देंगे. उन्होंने कहा कि आम सभा चार अप्रैल को ही हो जानी चाहिए थी लेकिन देरी हुई है. चैम्बर कम्प्लीट हो चुके हैं, भ्रष्टाचार आपके सामने है. इस स्थिति में क्या नयी कार्यकारिणी के चुनाव की घोषणा की जानी चाहिए. इस सवाल को उन्होंने बार के सदस्यों के सामने रखा. तमाम अधिवक्ताओं की तरफ से आया कि अभी तैयारी पूरी नहीं है तो चुनाव की घोषणा नहीं की जानी चाहिए. मई में चुनाव कराये गये तो मिटिंग एडजर्न नहीं करनी पड़ेगी और चुनाव नहीं कराये गये तो मिटिंग एडजर्न करनी पड़ेगी. उन्होंने इस पर सदस्यों का हाथ उठाकर समर्थन मांगा. ज्यादा वोट मई में चुनाव न कराने के पक्ष में आये तो उन्होंने कहा कि 15 या 16 जुलाई को फिर से आम सभा होगी. इस बीच में हम 2 जून को फाइनेंशियल चार्ज एल्डर कमेटी को सौंप देंगे. सदस्यों की सहमति का देखते हुए आम सभा एडजर्न कर दी गयी.
आम सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी ने और संचालन महासचिव विक्रांत पांडेय ने किया! सभा में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खर, उपाध्यक्षगण अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चन्द्र यादव, नीरज त्रिपाठी, नीलम शुक्ला, संयुक्त सचिव प्रशासन सुमित कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव लाइब्रेरी अभिजीत कुमार पांडेय, संयुक्त सचिव प्रेस पुनीत कुमार शुक्ला, संयुक्त सचिव महिला आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह के अलावा कार्यकारिणी सदस्य उदिशा त्रिपाठी, मनीषा सिंह, किरन सिंह, अभिषेक मिश्र, अवधेश कुमार मिश्र, अभिषेक तिवारी, सच्चिदानंद यादव, दिनेश यादव, रत्नेश कुमार पाठक, राजेश शुक्ला, सर्वेश्वर लाल श्रीवास्तव, वेद प्रकार ओझा, अमरनाथ त्रिपाठी, ब्रजेशर कुमार सिंह सेंगर के अलावा बड़ी संख्या में सदस्य अधिवक्ता उपस्थित रहे.
संयुक्त सचिव प्रेस पुनीत कुमार शुक्ला के हस्ताक्षर से जारी रिलीज में बताया गया है कि फारेंसिक आडिट के लिए महासचिव विक्रांत पांडेय ने मे. खण्डूजा एसोसिएटस के चार्टर्ड एकाउंटेंट संजय खण्डूजा को 19 अप्रैल को पत्र प्रेषित कर दिया गया है!
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