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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की रीयल इस्टेट कंपनी को लगाई फटकार, अर्जेंट सुनवाई से इनकार

हम क्या अमीरों के लिए ही बैठे हैं: सुप्रीम कोर्ट

अर्जेंट सुनवाई से इनकार

गुजरात की एक रीयल एस्टेट और प्राइवेट रिजोर्ट मैनेजमेंट कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई के आग्रह को इस कमेंट के साथ ठुकरा दिया कि क्या सुप्रीम कोर्ट अब केवल अमीरों के लिए रह गया है. वाइल्डवूड्स रिजोर्ट ऐंड रियल्टीज की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से कोर्ट ने कहा कि क्या इस मामले की सुनवाई जल्दी करना जरूरी है. यह आदेश जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन ने दिया और मामले को अगस्त 2025 में सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया.

दिसंबर में हाई कोर्ट ने दिया फैसला, अप्रैल में एसएलपी
बता दें कि वाइल्डवूड्स रिजोर्ट ऐंड रियल्टीज ने पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल की है. कंपनी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने अर्जेंट सुनवाई का आग्रह किया था. कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा उतना इंपार्टेंट नहीं है जितना दिखाने की कोशिश की जा रही है. जस्टिस दत्ता ने कहा, आपने सीजेआई के सामने जिस अर्जेंट सुनवाई की बात की थी वह क्या थी. बेंच ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दिसंबर 2024 में ही इस मामले में अपना फैसला सुनाया था. अप्रैल में एसएलपी फाइल की गयी. इसमें यह भी नहीं बताया गया कि अर्जेंट हियरिंग क्यों जरूरी है. इससे तो लगता है कि जैसे सुप्रीम कोर्ट अमीरों के लिए ही बचा है. आपका केस तो जनवरी 2026 में लिस्ट होना चाहिए.

बेंच ने अस्वीकार कर दी रिक्वेस्ट
दरअसल वाइल्डवूड्स नेशनल पार्क के पास में एक रिजॉर्ट बनाना चाहता है. स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ ने यहां रिजॉर्ट बनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद कंपनी हाई कोर्ट पहुंच गई. कंपनी ने हाई कोर्ट में कहा कि 2009 में ही उसने सरकार के साथ MoU पर साइन किए थे. सरकार ने उसे इस प्रोजेक्ट के लिए मदद देने का आश्वासन दिया था. ऐसे में कंपनी ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि राज्य के बोर्ड को प्रोजेक्ट में मदद करने का निर्देश दिया जाए. राज्य सरकार ने कंपनी का विरोध किया. राज्य सरकार कहना है कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट की लोकेशन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के बेहद करीब है. किसी भी प्रोजेक्ट की दूरी कम से कम एक किलोमीटर तो होनी ही चाहिए. रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि जुलाई में ही मामले की सुनवाई कर ली जाए तो बेंच ने उनके इस निवेदन को भी अस्वीकार कर दिया.

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