+91-9839333301

legalbulletin@legalbulletin.in

|

पति को ‘नपुंसक’ कहना मतलब आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास हाई कोर्ट का फैसला, ससुरालवालों के खिलाफ एफआईआर रद

पति को 'नपुंसक' कहना मतलब आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी के लिए ‘नपुंसक’ शब्द का इस्तेमाल करना उसे खुदकुशी के लिए उकसाना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए ससुरालवालों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने की FIR रद्द कर दी.

लगातार क्रूरता का संकेत नहीं
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि मृतक के सुसाइड नोट में प्रत्यक्ष रूप से उकसाने या लगातार क्रूरता का संकेत नहीं है. केवल आहत करने वाली टिप्पणी (जैसे ‘नपुंसक’) उकसाने की पुष्टि नहीं करती है. पति को कथित रूप से ‘नपुंसक’ कहकर अपमानित किए जाने के लगभग एक महीने बाद युवक ने आत्महत्या किया. मामले में पति का सुसाइड नोट मिलने के बाद उसके ससुरालवालों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. इसमें मृतक के ससुरालवालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था और कहा था कि उसकी पत्नी को मायके ले जाते समय उसे ‘नपुंसक’ कहा था. इसी से वह डिप्रेशन में चला गया और आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लिया.

एक महीने तक कोई सम्पर्क नहीं था
बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने ससुराल वालों के खिलाफ FIR को खारिज करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट में रखे गये तथ्यों के अनुसार एक महीने की अवधि में मृतक और आरोपी के बीच कोई संपर्क नहीं था. सुसाइड नोट से यह साबित नहीं होता कि आरोपी ने मृतक को उकसाया या कोई लगातार क्रूरता या उत्पीड़न किया गया, जिससे आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध बनता हो. केवल उत्पीड़न के आरोपों के आधार पर और वह भी एक महीने पहले, जबकि इस बीच अपीलकर्ताओं की ओर से किसी भी तरह का कोई संपर्क नहीं था. घटना के समय तक जिसके बारे में कहा जा सकता है कि मृतक ने आत्महत्या की है या उसे मजबूर किया है, अपराध नहीं बनता है. इरादे का अनुमान नहीं लगाया जा सकता, लेकिन यह स्पष्ट रूप से मौजूद और दृश्यमान होना चाहिए, जो वर्तमान मामले में गायब है. 

कोर्ट में उकसाने को किया ब्रीफ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा धारा 306 के तहत पहली आवश्यकता के रूप में किसी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या करना है. लेकिन, इस उकसाने के लिए जो तत्व आवश्यक है वह धारा 107 IPC में होना चाहिए. धारा 107 आईपीसी के तहत उकसावे की आवश्यकता उकसाना है. दूसरा, खुद या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर ऐसी कोई चीज या कार्य करने की साजिश में शामिल होना या उस साजिश के अनुसरण में कोई कानूनी चूक और तीसरा, जानबूझकर किसी कार्य या उस चीज को करने में कोई अवैध चूक करना. 

इसे भी पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *