प्रदेश की जिला अदालतों में पद सृजन पर विचार के लिए कमेटी गठित
जस्टिस फैज आलम खां करेंगे अध्यक्षता, तीन सदस्य होंगे कमेटी में

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लागू तकनीकी जस्टिस डिलेवरी सिस्टम के चलते तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आवश्यकता के अनुसार प्रदेश की जिला अदालतों में पद सृजन पर विचार के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मोहम्मद फैज आलम खां की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है. एनआईसी के उप महानिदेशक शशिकांत मिश्र व अपर महानिदेशक तकनीकी सेवाएं उप्र पुलिस नवीन अरोड़ा कमेटी के सदस्य होंगे. सचिन की अर्जी की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके सिंह देशवाल ने कहा कि हाईकोर्ट सीपीसी निबंधक कमलेश कुमार शुक्ल कोआर्डिनेट होंगे और संयुक्त निबंधक इंस्पेक्शन संदीप चौधरी सीपीसी को सहयोग करेंगे.
सभी जिला अदालतों में पद सृजन को जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश
कोर्ट ने कमेटी से जस्टिस केएल शर्मा कमेटी की 1989 की सिफारिशों व हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी के 2 अगस्त 23 व संबंधित पक्षों से फीडबैक लेकर सभी जिला न्यायाधीशों की वास्तविक जरूरत के मुताबिक एक महीने में पता नाम व योग्यता पर रिपोर्ट देने का अनुरोध किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को कमेटी की यात्रा व विश्राम का इंतजाम करने का आदेश दिया है. सेवारत सदस्यों को मानदेय नहीं मिलेगा, किंतु टीए, डीए दिया जाय. कमेटी के अध्यक्ष को दो लाख रुपए मानदेय व 50 हजार रूपए खर्च के दिये जायेंगे.
कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिला जजों को जिला अदालतों में पद सृजन को जरूरी जानकारी व महानिबंधक को स्टाफ दस्तावेज कमेटी को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. कमेटी एक माह में महानिबंधक के मार्फत अपनी रिपोर्ट देगी. प्रदेश के मुख्य सचिव ने 1989 की न्यायमूर्ति शर्मा कमेटी की शिफारिशों के बाद लागू तकनीकी जस्टिस डिलेवरी सिस्टम को देखते हुए जिला अदालतों में पद सृजन कर स्टाफ बढ़ाने की संस्तुतियों पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया. जिसपर कोर्ट ने जिला अदालतों में पद सृजन को नई कमेटी का गठन किया है.
जमानत बंध पत्र व प्रतिभूति मामला
कोर्ट ने एनआईसी पुणे के उप महानिदेशक व निबंधक सीपीसी हाईकोर्ट को जमानत बंध पत्र व प्रतिभूति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जमा करने की तकनीकी विकसित करने तथा जिला जज, पुलिस चीफ व जिलाधिकारियों को सहयोग करने का निर्देश दिया है. महानिदेशक कारागार उप्र ने कहा कि कैदी का रिलीज आदेश जेलों तक भेजने की तकनीकी के तहत साफ्टवेयर विकसित किया जाय ताकि डिजिटल हस्ताक्षर कर आदेश सीधे जेलों में भेजा जा सके. कोर्ट ने सीपीसी व एनआईसी को आपसी सहयोग से साफ्टवेयर तैयार करने का आदेश दिया.
तकनीक के उपयोग से आ रहे बेहतर परिणाम
महानिदेशक कारागार ने बताया कि 37 जिला अदालतों से रिलीज आदेश जेलों में आने लागे हैं. जिसके चलते हर एक मिनट में एक कैदी की रिहाई संभव हुई है. 10 मिनट में 10 आदेश मुजफ्फरनगर जेल में आये और 10 मिनट में 10 कैदियो की रिहाई की गई. शामली जिला अदालत में 6255 कार्यवाही एनएसटीईटी सिस्टम के जरिए भेजी गई. 4780 सर्विस के बाद वापस प्राप्त हुई. बताया कि 75 फीसदी कार्यवाही पांच जिलों में भेजकर पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. अभी तक 20 जिलो में एनएसटीईटी सिस्टम लागू किया गया! पाक्सो पीड़िता को एसएमएस के जरिए चार्जशीट उपलब्ध कराया गया. पुलिस को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
हिंदी भाषा में समन भेजने का फार्मेट तैयार करें
इसी प्रकार कई जिलों में एनएसटीईटी सिस्टम व बीओएम एस सिस्टम लागू किया गया है. हिंदी भाषा में समन आदि तैयार कर भेजने का फार्मेट तैयार करने का भी आदेश दिया गया. शासकीय अधिवक्ता एके संड व अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सुझाव दिया कि वकीलों को पीडीएफ फाइल मिल सके तो काफी मददगार होगी. इस पर कोर्ट ने इस सुझाव को हाईकोर्ट कंप्यूटर विभाग को कंप्यूटर कमेटी के समक्ष रखने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी. कोर्ट ने इस दिन सभी बाहरी अधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए और हाईकोर्ट के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहने का निर्देश दिया है. कोर्ट के आदेश पर सभी अधिकारी सुनवाई के दौरान वीडियो कान्फ्रेंसिंग या व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे.
सरकार जिला अदालतों में पद सृजन करे
हाईकोर्ट का मानना है कि तृतीय व चतुर्थ श्रेणी स्टाफ की भारी कमी है. सरकार जिला अदालतों में पद सृजन करे. प्रदेश के मुख्य सचिव ने पुरानी संस्तुतियों के बजाय तकनीकी युग में आवश्यकता के अनुसार पद सृजन पर बल दिया और विचार के लिए नई कमेटी के गठन का सुझाव दिया.जिस पर कोर्ट ने यह कमेटी गठित की है.