संदेह का लाभ देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या आरोपियों की सजा की रद
प्रयागराज की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1982 में हुई हत्या मामले में आरोपी लखन और देशराज को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. जस्टिस वीके बिड़ला और जस्टिस नंद प्रभा शुक्ला की बेंच ने अभियुक्तों की अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा के सत्र अदालत प्रयागराज के फैसले को रद कर दिया है.
1977 में हुई थी हत्या की घटना
6 अगस्त, 1977 को दर्ज मामले में राजाराम ने चार लोगों लखन, देशराज, कालेश्वर और कल्लू पर अपने चचेरे भाई प्रान पर हमला करने का आरोप लगाया था. प्रान को बचाने आए राजाराम और उनके भाइयों पर भी हमला किया गया. उनके भाई प्रभु की अस्पताल में मौत हो गई थी. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष घटना का सही क्रम स्थापित करने में विफल रहा है, और बचाव पक्ष के तर्कों में महत्वपूर्ण कमजोरियां हैं. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अभियुक्तों को आत्मरक्षा का अधिकार है और अभियोजन पक्ष ने इस पहलू को ठीक से विचार में नहीं लिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य में कई विसंगतियां हैं और निचली अदालत ने इन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. इसलिए, लखन और देशराज को संदेह से परे अपराध साबित न कर पाने का लाभ दिया जाना चाहिए. घटना कौशांबी जिले के सराय अकिल थाना क्षेत्र में हुई थी.