अधिवक्ता परिषद ने न्यायिक सुधारों की मांग को लेकर 10 सूत्री ज्ञापन एडीएम प्रशासन को सौंपा
किसी न्यायाधीश के परिवार का कोई सदस्य उस न्यायालय में वकालत करता है तो न्यायाधीश का स्थानांतरण किया जाए

प्रयागराज: अधिवक्ता परिषद काशी की जनपद न्यायालय एवं उच्च न्यायालय इकाई के सदस्य अधिवक्ताओं एवं पदाधिकारियों ने गुरुवार को न्यायिक सुधारों के संदर्भ में राज्यपाल एवं राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी प्रशासन पूजा मिश्रा को सौंपा.
राष्ट्रपति के नाम सम्बोधित है ज्ञापन
राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा 13 अप्रैल को स्वतंत्र न्यायपालिका के उत्तरदायित्व से संबंधित 10 सूत्री प्रस्ताव को प्रेषित किया गया है. प्रस्ताव में न्यायिक सुधारों समेत न्यायाधीशों के चयन में पारदर्शिता एवं उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में एकरूपता लाने की मांग की गई है. यह भी मांग की गई है कि यदि किसी न्यायाधीश के परिवार का कोई सदस्य उस न्यायालय में वकालत करता है तो न्यायाधीश का स्थानांतरण किया जाए. दस सूत्रीय प्रस्ताव के माध्यम से यह भी अपेक्षा की गई है कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में कानून बनाया जाए जो न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करे और नियुक्तियों में न्यायपालिका की अधिक भूमिका हो.
न्यायाधीशों के चयन की व्यवस्था को पारदर्शी बनाएं
नई व्यवस्था के आने तक वर्तमान कॉलेजियम व्यवस्था के माध्यम से ही न्यायाधीशों का चयन किया जाए परंतु इस व्यवस्था में और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए. यदि उच्चतम न्यायालय में किसी न्यायाधीश के पारिवारिक सदस्य वकालत करते हैं तो उक्त न्यायाधीश के सेवानिवृत होने तक परिवार के सदस्य उच्चतम न्यायालय में वकालत न करें. प्रस्ताव में अंत में कहा गया है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक तिहाई जजों की संख्या देश के दूसरे उच्च न्यायालय से आए न्यायाधीशों की हो. ज्ञापन देने वालों में द्विजेंद्र मिश्र, सव्यसाची तिवारी, वरुण सिंह, समीर राय, पवन सिंह, शशि, प्रतीक मिश्र, सिद्धार्थ बघेल, सात्विक त्रिपाठी आदि शामिल रहे.