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2 अधिवक्ताओं की वकालत पर लगा प्रतिबंध हाईकोर्ट ने 6 माह के लिए किया सस्पेंड

जिला जज को अगली सुनवाई पर दोनों वकीलों की आचरण रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

अधिवक्ताओं की वकालत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय की एक अदालत में पीठासीन अधिकारी की उपस्थिति में वादकारी से मारपीट पर अवमाननाकर्ता 2 अधिवक्ताओं की वकालत पर लगा (रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ) प्रदेश कि किसी भी अदालत में वकालत पर लगे प्रतिबंध को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है. कोर्ट ने इस छह माह की अवधि में उक्त दोनों वकीलों के आचरण की रिपोर्ट जिला जज को अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है.

जानबूझकर झूठा व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल किया गया
यह आदेश जस्टिस एसडी सिंह और जस्टिस संदीप जैन की बेंच ने दिया है. बेंच के आदेश के अनुसार पूर्व में राजेंद्र प्रसाद मिश्र उर्फ रज्जू ने तीन वकीलों के नाम की जानकारी दी थी, जिन्होंने अवमानना की थी. उसके बाद राजेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा बताए गए वकीलों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी. बाद में राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल कर स्वीकार किया कि उक्त जानकारी सही नहीं थी. ऐसी परिस्थिति में यह कहा गया कि राजेंद्र प्रसाद मिश्र द्वारा जानबूझकर झूठा व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल किया गया था जो न्यायालय को गुमराह करने और न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए था. ऐसे में अवमाननाकर्ता राजेंद्र प्रसाद मिश्र उर्फ रज्जू को नोटिस जारी की जाए.

3 अप्रैल 2024 को लगाया गया था प्रतिबंध
अवमानना के संबंध में अवमाननाकर्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद असिफ को उत्तर प्रदेश में किसी भी अदालत में पेश होने से वंचित कर दिया गया था. 30 अप्रैल 2024 को लगाया गया यह प्रतिबंध अब तक लागू है. इस प्रकार अवमाननाकर्ताओं को इस न्यायालय के आदेश के तहत पिछले एक वर्ष से वकालत से वंचित रखा गया है. इस एक वर्ष की अवधि के दौरान इन अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ कोई अन्य या आगे की घटना दर्ज नहीं की गई है. उन्होंने सीखे हुए पीठासीन अधिकारी से माफी मांगी है. अवमाननाकर्ताओं की ओर से न्यायालय को आश्वासन दिया गया कि अवमाननाकर्ता ऐसा आचरण नहीं करेंगे जिससे उनके खिलाफ कोई अन्य या आगे की शिकायतें उत्पन्न हों. यह भी कहा गया कि अगली सुनवाई तक अवमाननाकर्ता किसी भी बार एसोसिएशन के चुनावों में भाग नहीं लेंगे.

अधिवक्ताओं ने पर्याप्त रूप से संयम बरता
कोर्ट ने कोई टिप्पणी किए बिना और अवमानना के मुद्दे को बाद में विचार करने के लिए छोड़ते हुए कहा कि यह लगता है कि अवमाननाकर्ताओं ने पर्याप्त रूप से संयम बरता है. न्यायालय की अपेक्षा है कि यहां से अवमाननाकर्ता रणविजय सिंह और मोहम्मद असिफ अधिवक्ता के रूप में पूरी तरह से आचरण प्रस्तुत करेंगे और किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जो या तो अवमानना का कार्य हो सकता है या अन्यथा एक अधिवक्ता के रूप में आचरण नहीं है. इसी के साथ कोर्ट ने अवमाननाकर्ताओं रणविजय सिंह और मोहम्मद असिफ को उत्तर प्रदेश में किसी भी अदालत में पेश होने से रोकने के आदेशों को छह महीनों की अवधि के लिए निलंबित कर दिया. साथ ही एडवोकेट सुधीर मेहरोत्रा से अगली तिथि पर अवमाननाकर्ताओं रणविजय सिंह और मोहम्मद असिफ के आचरण के संबंध में इलाहाबाद के जिला न्यायाधीश की आगे की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.

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