अफसरों की आलोचना वाली कविता Post करने वाले बीईओ के निलंबन पर रोक, सुनवाई 15 अक्टूबर को

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ह्वाट्सएप पर अफसरों की आलोचना करने वाली कविता Post करने के बाद हटा दिये गये खंड शिक्षा अधिकारी को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने कहा कि किसी भी कविता को अपलोड (Post) करना कदाचार के दायरे में नहीं आएगा और अन्यथा भी कोई बड़ी सजा नहीं होगी. याचिका में 7 जुलाई, 2025 को पारित निलंबन आदेश को चुनौती दी गई थी.
जस्टिस मनीष माथुर की बेंच ने विवादित निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलें (Post) बलशाली हैं और प्राइमा फेसी इस पर विचार करना जरूरी है. बेंच ने याचिका दाखिल होने के बाद स्टेट के अफसरों को काउंटर एफीडेविट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया. अपने आदेश में सिंगल बेंच कहा कि विभागीय कार्यवाही जारी रहेगी.
कथित कविता (Post) “तुम जानते हो डिप्टी का अरमान दोस्तों…इस तरह दौड़ते हैं फरमान दोस्तों” को एक व्हाट्सएप ग्रुप पर Post किया गया था. इसके बाद खंड शिक्षा अधिकारी विजय प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया था.
सरकारी वकील ने किया Post का विरोध
याचिकाकर्ता (विजय प्रकाश), जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता विनय मिश्रा ने किया, ने इस आधार पर आदेश को चुनौती दी कि यह उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियम 4 का उल्लंघन करता है. याचिका का विरोध करते हुए स्टेट की तरफ से सरकारी वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र जारी किया जा चुका है.
यह भी प्रस्तुत किया गया कि जाँच का विषय यह है कि कविता किसी बंद ग्रुप में अपलोड (Post) की गई थी या किसी व्यापक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, और क्या यह उनके वरिष्ठों की आलोचना थी. दोनों पक्षों की दलीलों पर ध्यान देते हुए, न्यायालय ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर, 2025 के लिए सूचीबद्ध कर दी.
Case title – Vijay Prakash vs. State Of U.P. Thru. Secy. Education Basic Govt. Lko. And 2 Others