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सहारनपुर violence (2017) मामले में चंद्रशेखर रावण को मिली राहत

अपराध उन्मोचन अर्जी फिर से सुनकर आदेश पारित करने का निर्देश

सहारनपुर violence (2017) मामले में चंद्रशेखर रावण को मिली राहत

सहारनपुर में हुई हिंसा (Violence) मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगीना के सांसद व आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण को कुछ राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ अदालत सहारनपुर में हुई हिंसा (Violence) मामले में याची की अपराध से उन्मोचित करने की अर्जी को फिर से सुनकर आदेश पारित करें. इससे पहले अर्जी खारिज कर दी गई थी. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने शुक्रवार को एसीजेएम कोर्ट सहारनपुर के उस आदेश को रद कर दिया है जिसमें सहारनपुर में हुई हिंसा (Violence) मामले में अपराध मुक्त किए जाने संबंधी चंद्रशेखर की अर्जी खारिज कर दी गई थी. हाई कोर्ट ने संबंधित अदालत को नए सिरे से निर्णय लेने के लिए मामला वापस भेज दिया है.

सहारनपुर violence (2017) मामले में चंद्रशेखर रावण को मिली राहत

मुकदमे से जुड़े विवरण के अनुसार सहारनपुर कोतवाली देहात थाना क्षेत्र में 2017 में चंद्रशेखर के खिलाफ बिना अनुमति सभा करने, हिंसा (Violence) भड़काने व आगजनी आदि आरोपों में एफआइआर दर्ज की गई थी. चंद्रशेखर ने 10 मार्च 2025 को सहारनपुर की एसीजेएम कोर्ट में Violence से डिस्चार्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसे खारिज कर गया. सांसद ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर संपूर्ण कार्रवाई रद करने की मांग की.

सहारनपुर के रामनगर में आठ मई 2017 को जातीय हिंसा (Violence) हुई थी. इस मामले में शिकायतकर्ता सुधीर कुमार गुप्ता ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. पुलिस ने इस घटना के बाद पीड़ितों की तहरीर पर एफआइआर दर्ज की थी. इस घटना की विवेचना के दौरान करीब 14 लोगों को आरोपित बनाया गया है. चंद्रशेखर आजाद को भी हिंसा (Violence) भड़काने और अन्य धाराओं में आरोपित बनाया गया है.

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कौड़िहार ब्लाक प्रमुख की गैंगस्टर एक्ट में जमानत मंजूर

सहारनपुर violence (2017) मामले में चंद्रशेखर रावण को मिली राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौड़िहार ब्लाक प्रमुख मोहम्मद मुजफ्फर की गैंगस्टर एक्ट के मामले में सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. यह आदेश जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव ने मोहम्मद मुजफ्फर की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया. याची के खिलाफ सोरांव थाने में वर्ष 2024 में गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था. उसकी जमानत के समर्थन में कहा गया कि याची को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है क्योंकि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. यह भी कहा गया कि 15 अक्टूबर 2023 से जेल में बंद याची किसी भी गिरोह का सदस्य, लीडर या संचालक नहीं है और उसने किसी भी गिरोह की गतिविधियों में सहायता नहीं की है.

जमानत पर रिहा होने पर वह न्यायिक प्रक्रिया से भागने या गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा. राज्य सरकार की ओर से जमानत की प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा गया कि याची का 43 मामलों का आपराधिक इतिहास है, जिनमें 15 मामले काऊ स्लाटर एक्ट के हैं, चार मामले गैंगस्टर एक्ट, पांच मामले गुंडा एक्ट के हैं और कई अन्य मामले हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि याची आदतन अपराधी है और लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों में शामिल है. यह भी कहा गया कि याची को कुछ मामलों में जमानत दी गई है, लेकिन यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो समाज में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरा हो सकता है.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने संपूर्ण तथ्यों, प्रकृति और रिकॉर्ड से प्रतिबिंबित साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तथा अधिनियम की धारा 19(4) के प्रावधान को ध्यान में रखते हुए मामले की मेरिट पर कोई राय व्यक्त किए बिना शर्तों के साथ जमानत अर्जी मंजूर कर ली. कोर्ट ने यह भी कहा कि शर्तों में से किसी एक का भी उल्लंघन किया जाता है, तो यह जमानत रद्द करने का आधार होगा.

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